भगवद्गीता Hindu धर्म का बहुत बड़ा धर्म ग्रंथ है. गीता में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन का सवांद है. यदि सीधे सीधे कहे तो इसमें एक अनन्य भक्त के प्रश्न है और भगवान के उत्तर है. गीता में योगेश्वर श्री कृष्ण ने कर्म योग पर जोर दिया है.
आज हम gyandrashta.com पर प्रभु श्री krishna के मुख से कहे गये उस अनमोल ग्रंथ में से कुछ प्रेरणादायी उपदेश post कर रहे है.
भगवद्गीता Quotes in hindi
1. क्रोध से सब काम
वैसे ही नहीं बनते, जैसे शांति से.
भगवद् गीता
2. संतुष्ट मन वाले
के लिए सदा सभी दिशाएँ सुखमयी है.
भगवद् गीता
3. सत्य का रहस्य वही
समझ सकता है जिसे किसी से दृष न हो.
भगवद् गीता
4. कर्म पर अधिकार तेरा,
फल (Results) पर नहीं. कर्म फल की आशा से न करो और कर्म को त्याग भी नहीं.
भगवद् गीता
5. क्रोध से अविवेक
उत्पन्न होता है.
भगवद् गीता
महापुरुषों के अनमोल संदेश
6. कर्म न करने की
अपेक्षा कर्म करना ही श्रेष्ठ है.
भगवद् गीता
7. तेज, क्षमा, धैर्य, शुद्धि, किसी में शत्रु भाव
का न हो, अपने में पूज्यता के भाव का सर्वथा अभाव हो ऐसे दैवी सम्पदा वाले अर्थात
अच्छे लोगों के गुण होते है.
भगवद् गीता
8. पाखंड, घमंड, अभिमान, क्रोध, कठोर वाणी और
अज्ञान – यह सब आसुरी सम्पदा को प्राप्त पुरुषों के लक्षण होते है.
भगवद् गीता
9. काम, क्रोध और
लोभ ये तीन प्रकार के नरक के मूल द्वार है.
भगवद् गीता
10. धर्म
मनुष्य के आचरण की वस्तु है.
भगवद्गीता
महात्मा बुद्ध के 20 motivational quotes in hindi
11. सभी प्रभु के
पुत्र है.
भगवद्गीता
12. आत्मा सर्वव्यापन,
अचल, स्थिर रहनेवाले और सनातन है. आत्मा ही सत्य है.
भगवद्गीता
13. ईश्वर सभी
भूतप्राणियों के हृदय में रहता है.
भगवद्गीता
14. जो दान कर्तव्य
समझकर, बदले में उपकार न करने वाले को और देश, काल और पात्र का विचार करके दिया
जाता है, उसे सात्विक दान कहा जाता है.
भगवद्गीता
15. मन को न संयमित
करने वाले पुरुष के लिए योग दुष्प्राप्य है. स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष के
द्वारा ही योग प्राप्त होता है.
भगवद्गीता
स्वामी विवेकानन्द के 21 अनमोल वचन Hindi Motivational Quotes
16. अज, अनादि और
सर्वलोक महेश्वर को भली प्रकार जानना ही ज्ञान है और ऐसा जानने वाले सभी पापो से
मुक्त हो जाते है.
भगवद्गीता
17. स्वाभाव में
पायी जाने वाली क्षमता के अनुसार कर्म करना स्वधर्म है. हल्का होने पर भी स्वभाव
से उपलब्ध स्वधर्म श्रेयतर है और बिना क्षमता के परधर्म को अपनाना हानिकारक होता
है.
भगवद्गीता
18. जो संसार के
संयोग और वियोग से रहित है, उसी का नाम योग है. जो आत्यन्तिक सुख है, उसके मिलन का
नाम योग है.
भगवद्गीता
19 श्रेष्ठ पुरुष जो
जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी उसके अनुसार ही करते है. महापुरुष जो कुछ प्रमाण
कर देता है, संसार उसका अनुसरण करता है.
भगवद्गीता
20. कामनाओं के
त्याग पर ही आत्मा का दिग्दर्शन होता है.
भगवद्गीता
loading...
दोस्तों आपको हमारी
यह पोस्ट कैसी लगी आप अपने विचार कमेंट्स बॉक्स में जरुर रख्रे.
No comments:
Post a Comment