वनशाला शिविर के अनुभव | open air कैसा रहा?

vanshala shivir kaesa raha

दोस्तों पिछले दिनों हमारी college का वनशाला कैंप का हुआ. यह कैंप वैसे तो बी.एड के लिए है लेकिन composite unit होने के कारण हमे भी साथ जाने का मौका मिला. आप मेसे से बहुत से लोग जानते ही होंगे की मै विद्या भवन से BSTC कर रहा हूँ. इसी कारण हम सभी student teachers open air के लिए udaipur से लगभग 25 किलोमीटर दूर काया नामक गाँव में  गये.
हर कैंप की तरह इस कैंप के भी कुछ अलग और नये अनुभव मिले , जो आज में आप लोगो के साथ share करने जा रहा हूँ...

दोस्तों वनशाला का आयोजन 3 अप्रैल से 6 अप्रैल 2018 के मध्य रखा गया. इस कैंप का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट टीचर्स को सामाजिक जीवन से जोड़ना और उसको समझने की क्षमता का विकास करना था. समाज को समझ कर तथा अपने पर्यावरण को जान कर उसका उपयोग अपने स्टूडेंट्स को पढ़ने में कर सके जिससे उनका शिक्षण प्रभावी हो सके.

इन चार दिवसीय शिविर के प्रत्येक कार्यक्रम से कुछ न कुछ नया जानने को मिला और हमने बहुत सी नई चीजों को जाना. शिविर की दिनचर्या की बात करूं तो सुबह 6 बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि लगभग 11 बजे तक अविरल चलती रहती थी.  पुरे दिन में student teachers आपसे में मिलजुलकर रहते और एक दुसरे की मदद से कार्य को पूर्ण करते थे.

students नहीं करे यह काम

शिविर के मुख्य कार्यक्रम

 योग और प्रार्थना
 शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए योग व प्रार्थना बहुत जरुरी है. इसी लिए कैंप में daily 7:00 बजे योग और प्रार्थना होती थी. जिससे सभी के दिन की शुरुआत एक अच्छे माहौल में होती थी.

लेआउट बनाना
  यह एक दिलस्प प्रतियोगिता होती थी जिसमे सभी सोसाइटी अपने पास मोजूद सामान से कुछ disign बनाती थी. जिसमे सभी लोग अलग अलग अलग टॉपिक्स पर लेआउट बनाते.



layout


मौन वेला
 कैंप का यदि सबसे अच्छा कोई कार्यक्रम का पूछा जाए तो मेरा जवाब 'मौन वेला' ही होगा.  क्योंकि पहाड़ियों के बीच शांत वातावरण में अस्त होते हुए सूरज को देखना और मंद  मंद बजते music के साथ ध्यान लगाना , एक योगी की अनुभूति करवाता था.
यह अलग बात है की कुछ खुरापाती साथियों की वजह से हम इसका पूर्ण आनन्द नहीं ले पाये क्योंकि उनसे बोले बिना रहा ही नहीं जाता था.

कैंप फायर और सांस्कृतिक कार्यक्रम
  जब दिन भर के कामों में थक जाते तो इन दोनों कार्यक्रमों के माध्यम से enjoy करते थे. वैसे कैंप फायर का कार्यक्रम तो अच्छा रहा लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रम में हम लोगो ने पूर्ण रूप से भाग नहीं लिया.
आप जानते ही है जहाँ पर ईगो आपस में टकराने लगे तो वहां शांति रखना बहुत मुश्किल होता है. एसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ. आत्मसम्मान और स्टाफ की बेरुखी की वजह से भगत सिंह के भक्तों ने गाँधीजी की राह  पर चलते हुए असहयोग   आन्दोलन का सहर लिया . जिसमे सांस्कृतिक कार्यक्रम में गये जरुर पर वहां पर शांति से बैठे रहे बिना किसी हावभाव के सभी को ignore करते रहे.

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जागरूकता रैली
 कैंप के तीसरे दिन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया जिसमे सभी सोसाइटी ने भाग लिया. रैली के अनुभव भी बहुत खाश रहे. रैली दोपहर के 3:00 बजे निकली गयी और इस टाइम बहुत धुप रहती है. जिससे लोगो के घरों से बाहर आने की सम्भवना कम थी. जब गाँव में पहुंचे तो वोही हुआ जिसका अंदेशा था.

रैली के नारों को सुनने वाला और नुक्कड़ नाटक को देखने वाला कोई नहीं था. यतिन जी सर ने बहुत मेहनत करके और लोगो के घर में जा जाकर लोगो को नाटक देखने के लिए बुलाया . इस सब के बावजूद केवल  3-4 महिलाऐं , 2 पुरुष और कुछ बच्चे ही आये. बच्चो को भी चाकलेट दी तब जाकर आये.
फिर सभी ने उनके सामने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया और पुन: अपने कैंप स्थल की और आ गये.

open year
प्रिंसिपल मेम
सर्वे कार्य के चार्ट


शिविर के अविस्मरणीय पल


इन चार दिन के शिविर में बहुत से ऐसे पल आये जो हमे तो याद रहेंगे ही साथ ही पुरे स्टाफ को भी ताउम्र याद रहेंगे. जब भी वनशाला कैंप की बात होगी इसी कैंप का नाम जरुर जोड़ा जाएगा.

BSTC के अधिकतर स्टूडेंट्स मारवाड़ से है और आप जानते ही होंगे की हम लोगो पाताल फोड़ कर पानी पीते है तो हमारी वाणी में लहजा भी उसी तरह का आता है जो बहुत से लोगो को पसंद नहीं होता है. ऐसा ही यहाँ भी हुआ हमारी सीधी बात भी लोगो को बुरी लगने लगी और हर समय की शिकायतों से तंग आकर हमने भी एक्शन लेने शुरू कर दिए जिससे बहुत हंगामा हुआ.

camp kaesa raha
master mind


छाछ घोटाला 
   आपने 2G , चारा घोटाला, कोयला घोटाला का नाम तो सुना होगा लेकिन यहाँ जो हुआ वो विश्व के इतिहास में पहली बार हुआ - "छाछ घोटाला."
 हमारे कुछ साथियों ने दोपहर के भोजन के समय छाछ की कमी के कारण एक जग छाछ अपने पास रख ली और कॉलेज स्टाफ के मांगने पर नहीं होने का बहाना बना दिया. और इसी कारण उन लोगो को तुरंत लाइन हाजिर करके लगभग तीन घंटे class लगाई गई .
जो की अपने आप में एक अनोखा मामला था जो पुरे कैंप में चर्चा का विषय रहा.



रात को तीन बजे आपात मीटिंग
       5 व 6 तारीख की मध्य रात्रि को जब सब लोग सो गये तो असहयोग आन्दोलन करने वाले युवाओं के मन में आया की क्यों न डांस किया जाए? फिर क्या था आनन फानन में अपने म्यूजिक सिस्टम को ऑन किया और शुरू हो गये .
कोई मंजे हुए डांसर तो थे नहीं की शांति से नृत्य करते सभी लोग शिवजी के गणों की तरह उछल कूद करते हुए जोर जोर से गीत गाने लगे .

गीत के बोल थे - " बन्नासा दूध पियो दारू छोड़ों सा ...", "आगे रे आगे कोटल घोड़लों..." समेत कई राजस्थानी गीतों पर भांगड़ा करने लगे. यहाँ तक तो ठीक था लेकिन फिर कुछ खुरापातियों ने अजीब अजीब तरह से आवाजे निकालनी शुरू कर दी जिससे शांत रात्रि भयानक होने लगी. ऐसा लगने लगा जैसे भुत जाग गये है ओए नृत्य कर रहे है.

इस तरह के महौल को सम्भालना किसी एक के बस की बात नहीं थी इसलिए आधी रात को पूरा स्टाफ उस स्थल पर आ गया और हम लोगो को रात्रि के 3 बजे मीटिंग में बुलाया और घटना पर गर्मागर्म बहस भी हुई पर अंत में वो ही हुआ जो होना था हमने माफ़ी मांग ली और उनका गुस्सा शांत हो गया.
इस घटना के 17 महारथियों के स्वर्ण पत्र पर हस्ताक्षर करवाएं गये की आगे से ऐसा नहीं होगा .
कुल मिलाकर कैंप में माहौल बनाने में हमने कोई कमी नहीं छोड़ी, 

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कैंप में हमने क्या सीखा ?

 शिविर के अनुभव तो खट्टे मीठे रहे लेकिन इस कैंप में हमने बहुत सी बातें जो कहानियों में या अख़बार में  पढ़ते थे उन्हें हकीकत में होते हुए देखा और अनुभव किया.

माहौल का गलत फायदा
  जब हमने रात में डांस करने का सोचा तब हमारे दिमाग में एसा कुछ भी नहीं था की साथी लोगो को परेशान किया जाए और उन्हें तकलीफ दी जाए. परन्तु कुछ छात्रों की शरारत की वजह से यह पूरा मामला हुआ और जो इस शरारत में शामिल थे वो तो निकल गये और सीधे सीधे गाने वाले पकड़े गये.
ऐसा बहुत सी जगह होता है जब बहुत सी  भीड़ होती है तो कुछ नापाक लोग उसका गलत फायदा उठाते है इसके लिए हमे पहले से सावधान रहना चाहिए.

हर मामले का हल बातचीत  से सम्भव है.
बेवजह मामले को टूल न दे और बिना फिक्स उद्देश्य के कोई माहौल न बनाए.



कैंप की सबसे अच्छी बात यह रही की अलग अलग  कोर्स  ( B.ed और BSTC ) होने के बावजूद स्टूडेंट teachers के मध्य किसी भी बात को लेकर अनबन नहीं हुई. इतना पूरा महौल होने के बावजूद दोनो के बीच स्नेह बना रहा.

6 अप्रैल को कैंप का समापन समारोह आयोजन किया गया और अपनी खट्टी मीठी यादों के साथ हम लोग अपने अपने घरों की तरफ रवाना हो गये.

इन यादों को लेकर मुझे अपनी ही चार लाइन याद आती है -
  कुछ कही , कुछ अनकही बातें
संजोए रखी है यादों के संदूक में .
आना कभी, मिलकर खोलेंगे यादों का संदूक
बैठकर बतियाएंगे
(वोही)
कुछ कही, कुछ अनकही बातें.

दोस्तों आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी आप comment box में अपने विचार जरुर रखे.

15 comments:

  1. Kya baat veram ji ,jordar lekhan

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  2. ये पल कभी भूल नहीं पाएंगे

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  3. This comment has been removed by a blog administrator.

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  4. Jabardasth ......Jordhar .......mind blowing........ Dil Se likha hua ..........maan gaye Hukum🙏🙏🙏🙏

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  5. आपके साथ से ही यादों का सिलसिला है!!!

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  6. Ek bar fir stc students ki unity dikhi ye bat muje bhut acchi lgi aur bhut shandar sabdo me pure lekh Ko piroya gya hai km sabdo me pure camp ki yade taja ho gai

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  7. काया केम्प की यादो को ताजा करने के लिए आैर आप लोगो के साथ बिताए पलो को कभी नही भुल पायेगे...सुभाष..चारण...Bed

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