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सरदार पटेल के जीवन के 2 प्रेरक प्रसंग | 2 motivational story in hindi



सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौहपुरुष के नाम से जाना जाता है. सरदार पटेल का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाईयों का सामना किया और उन पर विजय प्राप्त की इसलिए तो इन्हें लौह पुरुष कहा जाता है.

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प्रेरक प्रसंग #1

 sardar vallabhai patel के पिताजी किसान थे और सरदार पटेल जब छोटे थे तब वे अपने पिताजी के साथ खेत पर जाते थे. एक दिन सरदार पटेल के पिताजी खेत में हल चला रहे थे और सरदार पटेल उनके साथ साथ चलते हुए पहाड़े याद कर रहे थे. वे याद करने में पूरी तरह से तन्मय हो गये और हल के पीछे चलते चलते उनके पांव में कांटा लग गया परन्तु सरदार पटेल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा तथा वे उसी तन्मयता से पहाड़े याद कर रहे थे. तभी अचानक उनके पिताजी की नजर वल्लभ भाई के पांव पर पड़ी तो पांव में बड़ा सा कांटा देखकर एक दम से चौक गये. और तुरंत बैलों को रोककर वल्लभ के पैर से कांटा निकाला और घाव पर पत्ते लगाकर खून को बहने से रोका.
      सरदार पटेल की इस तरह की एकाग्रता और तन्मयता देखकर उनके पिताजी बहुत खुश हुए और उन्हें जीवन में कुछ बड़ा करने का आशीर्वाद दिया. और उनके इस आशीर्वाद को सरदार पटेल ने बखूबी सफल किया.

शिक्षा
   दोस्तों जब भी हम कोई कार्य करते है तो हमारा ध्यान पूरी तरह से उस काम में होना चाहिए तभी हम सक्सेस हो सकते है. और हमारी लाइफ में इस तरह के संकट (कांटे) बहुत आते है बस आपको अपने काम पर लगे रहना है.

प्रेरक प्रसंग #2 

 

sardar-patel

 



      सरदार पटेल की सहनशीलता


सरदार पटेल ने 1990 में तीन वर्षीय जिला मुख्तारी का कोर्स करने के बाद वे पैसे कमाने के लिए अपने मित्र कशीभाई के पास आ गये और अपनी योजना को कार्यरूप देने लग गये. 
    जब पटेल अपने मित्र के पास रह रहे थे तब उनकी कांख में फोड़ा हो गया. बहुत इलाज करवाया, लेकिन फोड़ा ठीक नहीं हुआ. इसलिए यह निश्चित किया गया की फोड़े में चीरा लगवाया जाए. चीरा लगवाने के लिए वे एक नाई के पास गये. नाई ने चीरा लगाने की बजाय गर्म सलाखों से जलाना ठीक बताया और इसलिए सलाखे गर्म की गई लेकिन नाई फोड़े को जलाने से घबराने लगा. सरदार पटेल ने उसकी बात को समझ लिया और स्वयं ने ही गर्म सलाखों से फोड़े को जला दिया. यह देख कर नाई घबरा गया और देखने वाले भी वल्लभ की इतनी सहनशक्ति देखकर हैरान रह गये.

 शिक्षा-
    यदि आपको अपनी लाइफ में सक्सेस होना है तो आपमें सहन शक्ति बहुत आवश्यक है. परेशानी रूपी फोड़े को स्वयम ही जलाना होगा अर्थात संकट का स्वयम ही निस्तारण करना होगा दूसरा कोई नहीं करने वाला.



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ओशो का अनमोल विचार best hindi story


                         जब कोई तामीर बेतखरीब हो सकती नहीं ।
                खुद मुझे अपने लिए बरबाद होना चाहिए ।।


इस जगत में बिना मिटाए कुछ भी नहीं बनता । जब कोई तामीर बेतखरीब हो सकती नहीं , जब कोई चीज बन ही नहीं सकती बिना मिटाये, बिना विध्वंस के सृजन होता ही नहीं तो खुद मुझे अपने लिए बरबाद होना चाहिए ।मिटना होगा यदि स्वयं को पाना है । जलना होगा तुम्हे अगर ज्योतिर्मय हो जाना है । बीज मिटता है तो वृक्ष होता है , नदी मिटती है तो सागर हो जाती है । जिस घडी तुम मिटने को राजी हो गये , उसी घडी तुम्हारे भीतर परम का आविर्भाव हो जाता है। वह फिर कभी नहीं मिटता ।

तुम तो क्षणभंगुर हो , पानी के बुलबुले हो , बचे भी तो कितनी देर बचोगे ? मौत तो आ ही जाएगी, तो फिर अपने हाथ से छलांग क्यों नहीं लगा लेते । जो स्वयम मर जाता है वाही ध्यान को उपलब्ध होता है । समाधि आत्म मरण है । मरने से कोई शारीरिक मरने की बात नहीं है । शरीर तो बार बार मरा है , और फिर फिर तुम वापिस अगये । इस बार अहंकार को मरने दो कि फिर वापिस आना नहीं होगा । फिर तुम सुगत हो जाओगे, अर्थात जो ठीक ठीक चला जाता गया, फिर वापिस नहीं आता ।
                              ओशो

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प्रेरक प्रसंग आत्मविश्वास | inspiring story in hindi

                      आत्म विश्वास


कलकत्ता के प्रेसिडेंट college में उन्हीं students को स्थान प्राप्त होता था जो exam में अच्छे marks से pass होते थे| सन 1906 में प्रस्तुत college के प्रधानाध्यापक अंग्रेज सज्जन ने जो की बहुत तेज तर्रार थे, exam results सुनाया। एक student एकांत शांत स्थान में बैठा हुआ ध्यान से exam result सुन रहा था । एग्जाम रिजल्ट्स सुनने के बाद उस student ने headmaster से पूछा –“ आपने मेरा नाम क्यों नहीं लिया ? ” Headmaster ने उसे घूरते हुए कहा –“ तुम्हारा नाम लिस्ट में नहीं है | तुम Fail हो चुके हो । “
student ने स्वाभिमान के साथ कहा –“ यह कभी सम्भव नहीं है । मै निश्चय ही प्रथम श्रेणी में pass हुआ हूँ| संभव है भूल से आपने मेरा नाम नहीं लिया है ।”
प्रधानाध्यापक student की सत्य बात को सुन नहीं सके । उन्होंने कहा –“ तुमने मेरा अपमान किया है , अत: 5 रुपये तुम्हारे पर जुर्माना करता हूँ ।”

10 प्रेरक कथन | 10 Inspirational quotes in hindi 

किन्तु student अपनी बात पर अड़ा हुआ था । प्रधानाध्यापक sir जुर्माना बढ़ाते गये । यहाँ तक की 50 रुपयों तक का जुर्माना उन्होंने कर दिया लेकिन student विचलित नहीं हुआ ।
उसी समय college के प्रधान क्लर्क ने आकर सूचित किया की यह student कॉलेज में सर्वप्रथम आया है । असावधानी से इसका नाम सूचि में लिखने से रह गया। Headmaster ने सुना तो उनका सिर लज्जा से झुक गया और student का सिर स्वाभिमान से ऊपर उठ गया ।

उस student का नाम था राजेन्द्रप्रसाद जो भारत के आजाद होने पर सर्वप्रथम राष्ट्रपति बने  ।

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2 शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग motivational hindi story for students

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काशी निवास के समय शंकराचार्य के जीवन को सैद्धान्तिक से व्यावहारिक मोड़ देनी वाली दो प्रमुख प्रेरक प्रसंग  –


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 प्रेरक प्रसंग 1
           
               एक दिन जब वे गंगा तट की ओर जा रहे थे, सामने से एक चांडाल मद्य के नशे में झूमता चला आ रहा था | उसके साथ में चार बड़े कुत्ते भी थे | उनसे स्पर्श हो जाने की शंका से श्री शंकर ने कहा,-“ रस्ते के एक और होकर के चलो और मेरे जाने के लिए रास्ता छोड़ दो |” चांडाल ने उनकी बात की ओर ध्यान नहीं दिया और चलते चलते कहने लगा ,- “ कौन किसको स्पर्श करता है? सर्वत्र एक ही वस्तु है, उसके अलावा और क्या है? किसके स्पर्श से तुम भयभीत होकर के दबकर चल रहे हो? आत्मा तो किसी को स्पर्श नहीं करती| जो आत्मा तुममे है, वह मेरे भीतर भी है| फिर तुम किसे दूर जाने की कह रहे हो ? मेरी देह को या मेरी आत्मा को ?”
         
                 इन शब्दों को सुनकर ही श्री शंकर का ब्रह्मज्ञान सच्चे व्यावहारिक लेवल पर पहुँच गया और उन्होंने मन ही मन उस चाण्डाल को एक गुरु समझ कर के प्रणाम किया | तत्कालीन कई लोगों ने इस घटना को सुनकर यही कहा कि भगवन विश्वनाथ चाण्डाल के रूप में आचार्य शंकर को उपदेश देने आए थे |

प्रेरक प्रसंग आत्मविश्वास | inspiring story in hindi


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प्रेरक प्रसंग 2

              बहुत समय बीत जाने पर एक दिन आचार्य शंकर सुबह गंगा स्नान कर लौट रहे थे कि सहसा घाट की ओर आ रहे चाण्डाल से को छू गये| स्पर्श होते ही शंकराचार्य कुपित हो उठे और चाण्डाल पर अपवित्र करने का दोष लगाकर भला- बुरा कहने लगे | चाण्डाल हँसा और बोला,- “ महाराज! सन्यास लेकर संत तो बन गए और वेद शास्त्र पढ़कर पंडित भी| किन्तु आपका तुच्छ देहाभिमान अभी भी न गया | इस प्रकार की भेद बुद्धि रहते हुए भी आप अपने आपको पूर्ण संत मान रहे है | यह उचित तो नहीं लगता| सबके शरीर में एक आत्मा का निवास है, इस सत्य को प्रतीत किए बिना आपका सन्यास अपूर्ण है, आडम्बर है|”

        चाण्डाल की बातों ने शंकराचार्य की आँखे खोल दी | उन्होंने अपनी अपूर्णता को स्वीकार किया और पूर्णता को प्राप्त करन, कर्तव्य पथ पर चल पड़े| अध्यात्म के सत्य स्वरूप को हृदयंगम कर अटक से कटक तक और कन्याकुमारी से कश्मीर तक सम्पूर्ण भारत की यात्रा कर जनता के, जनमानस में धर्म सम्बन्धी भ्रांतियों को दूर किया तथा सम्पूर्ण भारत में वैदिक धर्म की पुनस्थापना की| 
                                                                                                      संकलित

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रामायण की प्रेरणादायी कहानी | Ramayana Inspiring Story In Hindi


आप छोटे बच्चे है तो भी चिंता न करे , अगर आप निर्धन है तब भी फिक्र नही  करे - जिस तरह भी आप औरो के काम आ सकते है आने की कोशिश करे ।

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अब आपके मन मे सवाल होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है ? छोटे , बड़े की Help कैसे कर सकते है ? 
तो आपके इन सभी सवालो के जवाब चुपे है रामायण की इस motivational घटना मे । 

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रामायण की प्रेरणादायी कहानी

Ramayana inspiring story 


जब श्री राम ने लंका विजय अभियान start किया । समुद्र पार करने के लिए समुद्र पर पत्थरों का पुल बनाना शुरू किया । पत्थर पर पत्थर लगाए जा रहे थे कि श्री राम ने देखा एक गिलहरी (Squirrel) पानी मे जाती है , फिर मिट्टी पर आती है और फिर पत्थरों के बीच जाती है। वापस आती है फिर पानी मे जाती है , मिट्टी पर आती है और फिर पत्थरों के बीच चली जाती है । वह बार बार लगातार यही किए जा रही थी ।

संत कृपाराम के अनमोल कथन

श्री राम ने सोचा, आखिर यह गिलहरी कर क्या रही है । उन्होंने हनुमानजी से कहा , इस गिलहरी को पकडकर लाओ तो । हनुमानजी गिलहरी को पकड कर लाये और रामजी के हाथ मे दे दी ।

रामजी ने गिलहरी से पूछा ,- तुम यह बार बार क्या कर रही हो ? मै समझ नही पा रहा हूँ । तुम पानी मे जाती हो , फिर आकर मिट्टी मे लोटपोट होती हो , फिर पत्थरों के बीच जाती हो और कुछ करके वापिस आ जाती हो ।
इस पर उसने कहा ,' भगवान! मैने सोचा , पतिव्रता सीता माता की रक्षा के लिए , उसकी आन - बान और शान रखने के लिए आप लंका पर चढाई करने जा रहे है , वानरों की सेना आपके साथ, युद्ध मे सहयोगी बन रही है तो मैने सोचा मै भी सहयोगी बनू । मेरे पास और तो कुछ help करने के लिए नहीं था क्योंकि इन पत्थरों को उठाने की क्षमता ( Power ) तो मुझमे नही है तो मैने सोचा इन पत्थरों के बीच मे जो खाली जगह है उसे मिट्टी डाल डालकर बर दूं , ताकि जब आप सेना सहित इस पर से गुजरें तो ये पत्थर आपको न चुभे ।

भगवान श्रीराम ने कहा, ' गिलहरी, तू महान Great है, पर एक बात तो बता । यहाँ तो इतनी बडी सेना ( Army ) है और तू छोटी सी बार बार आ जा रही है, अगर किसी के पाँव के नीचे आकर मर गई तो ?

'गिलहरी ने कहा , ' प्रभु! तब मै यह सोचूंगी कि नारी जाति के शील और धर्म को बचाने के लिए जो युद्ध लडा गया उसमे सबसे पहले मै काम आई ।'

तब श्रीराम ने गिलहरी की पीठ पर स्नेह प्रेम और वात्सल्य से भरकर अगुलियाँ चलाई और कहते है कि गिलहरी की पीठ पर फेरी भगवान की अगुलियाँ के निशान आज भी दिखाई देती है और श्रीराम ने कहा ' लंका विजय अभियान मे सबसे बडा सहयोग तुम्हारा है ।
शिक्षा Moral
         तुम छोटे हो तो यह मत सोचो कि तुम कुछ नही कर सकते । जो तुम्हारी हैसियत है तुम उतना तो करो । जो औरो के वक्त - बेवक्त मे काम आता है । उनका वक्त बेवक्त नही आता है , जो दूसरो के लिए आहूति देता है। ईश्वर के घर से उसके लिए आहुतियाँ समर्पित होती है ।

किसी भी काम को करने के लिए कोई भी वक्त सही होता है और आप यदि समाज के लिए कुछ करना चाहते है तो आप किसी भी तरह से कर सकते है. जरुरी नहीं की धन या ताकत से समाज सेवा करे आप अपनी ability के अनुसार काम करके भी सेवा कर सकते है.

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प्रेरक प्रसंग कहानी barack obama से जुड़ी



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यह घटना उस Time की है जब बराक ओबामा school में पढ़ते थे। उन्हें बचपन में खेलने का बहुत शौक था। एक बार एक समय वे खेल रहे थे तब उनके साथी ने उनसे बॉल छीन ली। जब ओबामा ने उसका विरोध किया तो उनके साथी ने उन्हें थप्पड़ मार दिया।



   ओबामा ने उस साथी की complain अपने सौतेले पिता लोलो सोटेरो से की और कहा की इस के लिए उनके उस साथी को सजा तो मिलनी चाहिए। लोलो ने कोई जवाब नहीं दिया और अगले दिन वो 2 बोक्सिंग ग्लब्ज लेकर आये। एक ग्लब्ज खुद पहना और एक ओबामा को दिया।


   ओबामा के पिता ने उनके मुंह पर एक मुक्का मारा और कहा की “अपनी रक्षा करो।” ओबामा ने सुरक्षा में अपना हाथ चेहरे पर रखा तभी लोलो ने एक ओर जोरदार मुक्का उनके मुंह पर मार दिया और कहा-“हमेशा चौक्कने रहो।”

   इस घटना ने ओबामा को बहुत प्रभावित किया और उन्होंने अपने पिता की इन दो सीख को हमेशा के लिए अपने जीवन में उतार दिया।
 
 Moral
   1 हमेशा चौक्कने रहो|
   2. अपनी सुरक्षा खुद करने में सक्षम बनो|


दोस्तों life में हमे बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। और उन से हमे ही लड़ना होता है। इस प्रेरक प्रसंग से हमे यह शिक्षा मिलती है की हमे अपनी सुरक्षा खुद करनी होती है लाइफ में जो भी हालात बनते है उन्हें हमे ही संभालना है दूसरा कोई नहीं आने वाला।

क्योंकि

   जंग हमेशा अपने दम पर जीती जाती है, लोगो के कंधो पर तो जनाजे उठते है|


यह जीवन एक जंग है और आपको ही इस जंग को जीतना है। इसलिय friends जब भी life में ऐसी कोई भी हालात बने तो उसका सामना खुद को ही करना होगा दुसरो के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होने वाला

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