आत्म विश्वास
कलकत्ता के प्रेसिडेंट college में उन्हीं students
को स्थान प्राप्त होता था जो exam में अच्छे marks से pass होते थे| सन 1906 में
प्रस्तुत college के प्रधानाध्यापक अंग्रेज सज्जन ने जो की बहुत तेज तर्रार थे,
exam results सुनाया। एक student एकांत शांत स्थान में बैठा हुआ ध्यान से exam
result सुन रहा था । एग्जाम रिजल्ट्स सुनने के बाद उस student ने headmaster से
पूछा –“ आपने मेरा नाम क्यों नहीं लिया ? ” Headmaster ने उसे घूरते हुए कहा –“
तुम्हारा नाम लिस्ट में नहीं है | तुम Fail हो चुके हो । “
student ने स्वाभिमान के साथ कहा –“ यह कभी सम्भव
नहीं है । मै निश्चय ही प्रथम श्रेणी में pass हुआ हूँ| संभव है भूल से आपने मेरा
नाम नहीं लिया है ।”
प्रधानाध्यापक student की सत्य बात को सुन नहीं
सके । उन्होंने कहा –“ तुमने मेरा अपमान किया है , अत: 5 रुपये तुम्हारे पर
जुर्माना करता हूँ ।”
10 प्रेरक कथन | 10 Inspirational quotes in hindi
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किन्तु student अपनी बात पर अड़ा हुआ था । प्रधानाध्यापक sir जुर्माना बढ़ाते गये । यहाँ तक की 50 रुपयों तक का जुर्माना
उन्होंने कर दिया लेकिन student विचलित नहीं हुआ ।
उसी समय college के प्रधान क्लर्क ने आकर सूचित
किया की यह student कॉलेज में सर्वप्रथम आया है । असावधानी से इसका नाम सूचि में
लिखने से रह गया। Headmaster ने सुना तो उनका सिर लज्जा से झुक गया और student का
सिर स्वाभिमान से ऊपर उठ गया ।
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उस student का नाम
था राजेन्द्रप्रसाद जो भारत के आजाद होने पर सर्वप्रथम राष्ट्रपति बने ।
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