पंचतंत्र की कहानी - शेर और गीदड़
जब भी कोई काम करे तो आगे की भी सोच ले उससे हमें बाद में पछताना नहीं पड़ता है और जो आगे की नहीं सोचता उसे पछताना पड़ता है आप सोच रहे होंगे की ऐसा कैसे? तो इस स्टोरी को पढ़े -
hindi motivational story with moral
एक जंगल में एक शेर रहता था. वो बहुत बूथ हो चूका था इसलिए कम शिकार उसके हाथ आता था. एक दिन शेर को कोई शिकार हाथ नहीं आया. वो भूख से बेहाल हो गया और इधर उधर घुमने लगा. तभी उसने एक गुफा देखि और शेर उस गुफा में जाकर बैठ गया और किसी जानवर के गुफा में आने का इंतजार करने लगा.
जिस गुफा में शेर बैठा था वो गुफा एक गीदड़ की थी उस समय गीदड़ भोजन की तलाश में जंगल में गया हुआ था. जब शाम के समय गीदड़ गुफा में वापिस आया तो उसने गुफा के आगे शेर के पंजो के निशान देखे. गीदड़ को कुछ गड़बड़ लगी और गुफा के दरवाजे को ध्यान से देखने लगा.
उसने देखा की शेर के पंजो के निशान गुफा के अंदर जाने के है बाहर आने के नहीं है. इसका मतलब हुआ की शेर अभी भी गुफा में है.
गीदड़ ने चतुराई से काम लेने का निश्चय किया. गीदड़ ने जोर से आवाज लगाते हुए कहा- " क्योँ री गुफा तू रोज तो मुझे देखकर अंदर बुलाती है आज क्यों नहीं बुला रही है?"
लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं आया.
गीदड़ ने फिर जोर से आवाज लगाई - " तू मुझे बुलाती है या मैं यहाँ से किसी दूसरी गुफा में चला जाऊ." लेकिन गुफा मे से कोई जवाब नहीं आया. शेर सोचने लगा शायद गुफा इसको रोज अंदर बुलाती होगी लेकिन आज मेरे डर से नहीं बुला रही है, क्यों नहीं में ही इसे अंदर बुला लू.
जब गीदड़ ने अगली बार आवाज लगाई तो शेर ने भी जवाब में दहाड़ मारी. शेर की दहाड़ सुनकर गीदड़ वहां से भाग गया और शेर हाथ मलते रह गया.
इस तरह गीदड़ ने चतुराई से अपनी जान बचा ली.
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moral of story
मुसीबत में डरकर बैठने की बजाय बुद्धिमता से उसका सामना करना चाहिए. क्योंकि "जो डर गया समझो वो मर गया" वाली कहावत तो अपने सुनी ही होगी.
इसलिए फ्रेंड्स कोई भी काम करे तो आगे की सोच ले और मुसीबत का सामना करने के लिए हर time ready रहे.
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