कुत्ते की सभा :- जंगल मे लोकतंत्र और आरक्षण
आज जंगल मे बहुत चहल-पहल है । सभी जानवर जंगल के बीच मे बने कुएँ की तरफ अपने अपने परिवार के साथ तेज कदमो के साथ जा रहे थे ।
गोलू बंदर पेड़ो पर छलाँगे मारते हुए अपने परिवार के साथ तेजी से कुएँ के पास जाने की कोशिश कर रहा था । मोटू हाथी भी अपनी सुन्ड से रास्ते मे आ रही पेड़ो की टहनियों को तोड़ता हुआ कुएँ की ओर जा रहा था ।
गणेशजी का वाहन मूषक महाराज भी गणेशजी को बीच रास्ते मे ही छोड़ कुएँ की ओर जा रहे थे ।
इस प्रकार सभी जानवर कुत्ते के द्वारा आयोजित सभा मे भाग लेने के लिए सह परिवार कुएँ पर जा रहे थे ।
कहानी अपाहिज कौन | story apahij koun
जंगल के सभी जानवर कुएँ के पास एकत्रित हो गए ।
जंगल के राजा शेर भी साथी जानवरो के कहने पर मिटिंग मे आए । सभी जानवर आपस मे कानाफूसी कर रहे थे कि आखिर यह सभा आयोजित क्यो की गयी है ।
जानवरो की उत्सुकता देखते हुए सभा के संचालक वैशाखनन्दन जी ने आगे आकर कहा - " मेरे जंगलवासी भाइयो आप जानते है कि जंगल मे कोई कानून नही है । शेर सदियो से हमारा राजा बना हुआ है । भाइयो आज मिटिंग इसलिए आयोजित की गई है जंगल की व्यवस्था को कैसे बदली जाए और जंगल मे भी लोकतंत्र और आरक्षण लाए । "
इसलिए इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए हमारे बीच अभी अभी शहर से आए टाॅमी (कुत्ता ) जी है जो आपको इंसानो के शहर के बारे मे बतायेंगे ।
निमंत्रण पाकर टाई सूट पहने टाॅमी कुत्ते ने अपना भाषण शुरू किया - भाइयो आप यहा पर सदियो से अन्याय सहते आ रहे हो । भाइयो अब समय आ गया है हमे आवाज उठानी होगी । शहर मे कमजोरो को आगे लाने की एक व्यवस्था है जिसे वहा आरक्षण कहते है । हमे भी ऐसी व्यवस्था जंगल मे लानी होगी । इसके लिए मुझे आपके साथ की जरूरत है आपकी की क्या राय है ?"
कुत्ते का भाषण सुन हिरण ने कहा - यह व्यवस्था इंसानो को अपनाने दो हमे इसकी आवश्यकता नही है । यह जंगल है इंसानो का शहर नही । यहा रेश मे घोड़ों के पांव मे जंजीर डालकर गधों को नही जिताया जाता ।"
सभी जानवरो ने ताली बजाकर हिरण की बात का समर्थन किया ।
कुत्ते ने समझाते हुए कहा -" तुम सब लोग अनपढ़ और गंवार हो इसलिए ऐसा कह रहे हो । हमे इंसान से सीखना चाहिए , उन्होंने अपनी बुद्धि के बल पर कितनी तकनीक विकसित की है ।
मोटू हाथी ने चिंघाड़ मारते हुए जवाब दिया -" जो आरक्षण के लिए बहन बेटी की इज्जत तार तार करे , सड़क तोड़े , अपने ही देश को अपमानित करे ऐसे इंसानो से हम क्या सीखे ? जो कभी आपस मे प्यार से नही रह सकते , कभी धर्म के नाम और कभी राष्ट्र के नाम आपस मे लड़ते रहते है उस इंसान से क्या सीखे ?
जो अपनी उच्च संस्कृति को छोड़ कर निम्न संस्कृति को अपनाए ऐसे इंसानो से हम क्या सीखे ? बताओ क्या सीखे हम ?
हाथी का जवाब सुनकर कुत्ता बगले झांकने लगा ।
सभी जानवरो के जवाब सुनकर जंगल के राजा शेर ने कुत्ते से कहा कि तुम हमे इंसान के जैसा बनाने की कोशिश मत करना ।हम जंगली सही है । हम इंसानो की तरह आपस मे झगड़ते नही है । यहाँ सड़को पर कलियाँ नही मचली जाती । यहा वृद्धो के लिए वृद्धाश्रम नही बनाय जाते । यहा पर राजनीति के नाम पर आपस मे नही लड़ते ।
तुम यहा से चले जाओ कही तुम पवित्र जंगल को भी इंसानो का शहर न बना दो ।
लेखक :- विरम सिंह सुरावा
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Waha sa reservation janvaro ko bhi thik nahi laga to ham use kiu abhi tak leye bete he kia hum un se bhi jangali he
ReplyDeleteजी प्रद्युम्न सा इंसान को जानवरो से सीखने की जरूरत है ।
ReplyDeleteअच्छा लिखते हैं आप..बधाई !
ReplyDeleteएक नई दिशा !
ReplyDeleteधन्यवाद जी
ब्लॉग पर आपका स्वागत है
Kya baat hai dost I really love it ...keep writings good blogs dost
ReplyDeletethanks bhai
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