चन्द्रसेन राठौड़
मायड़ थारों वो पुत कठै
वो मरूधरा रो लाल कठै
वो मालदेवजी रो सपूत कठै
वो चन्द्रसेन राठौड़ कठै
मायड़ थारों वो पूत कठै...2
आजादी खातिर जंगल जंगल घुमनीयों
वो आजादी रो दिवानो कठै ।
अकबर री आँख रो काँटो
वो चन्द्रसेन राठौड़ कठै ।
मायड़ थारो वो पूत कठै....2
वो जुझेयों घणो अकबर री सेना रे आगे,
मान बचावण मरूधरा रो
वो जोधाने रो शेर कठै ।
भाद्राजून और सिवाणा री धरा पर ,
अकबर ने सबक सिखावण वालो
वो चन्द्रसेन राठौड़ कठै ।
मायड़ थारो वो पूत कठै
वो मरूधरा रो लाल कठै ।
नागौर दरबार मे रजपूती री आन राखनियों
वो मारवाड़ रो सूरज कठै ।
स्वाभिमान री अलख जगान जगानियों
वो चन्द्रसेन राठौड़ कठै ।
मायड़ थारो वो पूत कठै
वो मरूधरा रो लाल कठै
वो चन्द्रसेन राठौड़ कठै ।
विरम सिंह सुरावा
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Chandrasen hamre ander jInda he azadi ki aag ke rup me jai rajputana
ReplyDeleteप्रद्युम्न सा इतिहासकारो ने चन्द्रसेन जी ज्यादा नही लिखा है यह भी प्रताप जी की तरह स्वाभिमानी और आजादी के दिवाने थे
ReplyDeleteआजादी खातिर जंगल जंगल घुमनीयों
ReplyDeleteवो आजादी रो दिवानो कठै ।
अकबर री आँख रो काँटो
वो चन्द्रसेन राठौड़ कठै ।
..जाने कितने ही आजादी के दीवानों ने अपनी कुर्वानी दी है। . नमन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
धन्यवाद कविता जी
ReplyDeleteसही कहा इस रेतीली भूमि पर ऐसी कई कुर्बानी दबी पड़ी है।
बहुत ख़ूब .. आज़ादी के परवानों को नमन है ... आँचलिक भाषा का कमाल दिख रहा है ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगम्बर जी
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