नमस्कार दोस्तो आज हम आपके लिए एक ऐसी कविता लेकर आए है जिससे आपको अपने बचपन के दिन याद आ जाऐगे ।
दोस्तो कविता पढ कर आपको निश्चित ही अपने बचपन के दिन और ननिहाल की याद आ गई होगी । आप अपने ननिहाल के अनुभव और यादे कमेंट बॉक्स मे जरूर लिखे ।
यह कविता प्रद्युम्न सिंह जी द्वारा लिखी गई है जिसमे उन्होंने अपने ननिहाल की यादो का जिक्र किया है ।
महत्वपूर्ण शब्द
नानेरा = ननिहाल
अटे = यहाँ
कटे = कहा
लाड = स्नेह
नानेरो
नानेरा ऐडो हाव कटे ,
अटे रे जेडो लाड कटे ।
कावलिया जेडो गांव कटे ।
दाता, भुमा रो लाड अटे,
नाना, नानी रो इदकार अटे ।
जीजी, मामीसा रो चाव अटे ,
कावलिया जेडो गांव कटे ।
चालराँय ऐड़ा और मेहरबान कटे,
खिड़िया रो दरबार अटे ।
नौकर शाही आवाम अटे ,
कावलिया जेड़ो गांव कटे ।
हवेली री शान अटे,
रतनगढ़ निर्माण अटे ।
राजभवन री तास अटे,
कावलिया जेडो ............।
आसू, चन्दु जेड़ा यार कटे,
कालू - गौरू जेड़ो साथ कटे ।
अवध बन्ना ऐड़ा ओर कटे,
कावलिया जेड़ो ................।
नानेरा मे जीण रा प्राण बचे,
'भमु' जेड़ा भाणेज कटे ।
कावलिया जेडो गांव.......।
प्रद्युम्न सिंह 'भम्सा'
दोस्तो कविता पढ कर आपको निश्चित ही अपने बचपन के दिन और ननिहाल की याद आ गई होगी । आप अपने ननिहाल के अनुभव और यादे कमेंट बॉक्स मे जरूर लिखे ।
यह कविता प्रद्युम्न सिंह जी द्वारा लिखी गई है जिसमे उन्होंने अपने ननिहाल की यादो का जिक्र किया है ।
महत्वपूर्ण शब्द
नानेरा = ननिहाल
अटे = यहाँ
कटे = कहा
लाड = स्नेह
वाह ... आँचलिक भाषा का तड़का रचना को लाजवाब बना रहा है ... बहुत ख़ूब ...
ReplyDeleteआभार
ReplyDeleteदेशी खाना और देशी भाषा का मजा कुछ ओर ही है ।
बेहतरीन रचना :)
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 04 अगस्त 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद दिग्विजय जी
ReplyDelete