भारत पाकिस्तान 1965 का युद्ध क्यों और कैसे लड़ा गया? india- pak war history in hindi

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भारत-पाकिस्तान जब से अलग हुए है उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चलता ही आ रहा है. पाकिस्तान हमेशा से ही भारत को अपना दुश्मन मानता आ रहा है और इसी कारण वो भारत पर कई बार हमले भी कर चूका है. वैसे अब भी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और लगातार LOC पर गोलियाँ चला रहा है.

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आज हम एक ऐसे ही युद्ध की बात करेंगे जिसकी शुरुआत भी पाकिस्तान ने की और सबसे ज्यादा नुकसान भी उसे ही उठाना पड़ा. इस पोस्ट में हम भारत पाकिस्तान के बीच हुई 1965 की लड़ाई की बात करेंगे.

आज हम इस post में निम्न points को clear करेंगे-


  • भारत-पाक युद्ध 1965 का क्या  कारण था ? 

  • पाकिस्तान के 1965 युद्ध के पीछे उद्देश्य  

  • ऑपरेशन  जिब्राल्टर क्या था?

  • operation grand slam क्या था  

  • पश्चिमी मोर्चे पर लड़ाई 

  • bettal of asal uttr 

  •  Air forces का योगदान 

  • युद्धविराम The Ceasefire  

  • भारत पाक युद्ध 1965 में दोनों देशो को कितना नुकसान हुआ?

  • भारत पाक युद्ध 1965 में कौन जीता ?

  • तास्कंद समझौता क्या था? 

     




भारत पाक युद्ध 1965 का कारण

पाकिस्तान का भारत पर हमला करने के पीछे उसकी बहुत बड़ी लालच थी  वो कश्मीर को भारत से लेना चाहता था. और इसी के साथ उसने सोचा की भारत चीन से 1962 में युद्ध हर गया था तो हम भी चीन की तरह भारत को हरा लेंगे.
पाकिस्तान के पास अमेरिका के दिए हुए modern wepon थे और भारत के पास आधुनिक हथियारों की कमी थी यही वजह थी की हम चीन से युद्ध नहीं जीत पाए थे.

पाकिस्तान के पास america के पैटन टैंक थे और भारत के पास द्वितीय विश्व युद्ध के समय के टैंक थे. पाकिस्तान के पास अमेरिका के शीत युद्ध  (cold war) समय दिए गए fighter plan और आधुनिक guns थी .
उस समय भारत की econamic भी कमजोर थी. और पकिस्तान ऐसे समय में कश्मीर का मुद्दा हल करना चाहता था.
  
1965 के समय भारत के pm श्री लाल बहादुर शास्त्री थे और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान थे जो की 1958 में तख्तापलट कर के president बने थे.

पाकिस्तान ने लड़ाई की शुरुआत  कच्छ की थी उसने कच्छ के दलदली क्षेत्र पर अपना दावा ठोक दिया और वहां पर हल्की फायरिंग की थी.  पाकिस्तान की कारवाई के जवाब में भारत में भी जवाबी हमला किया. लेकिन ब्रिटेन ने मध्यस्था करते हुए इस मामले को सुलझाने की कोशिश की और एक मध्यस्थ court की स्थापना की लेकिन उसका फैसला 1968 में आया.

लेकिन कच्छ के मामले में जिस तरह भारत वार्ता के लिए तैयार हो गया उसे पाक ने india की कमजोरी समझ लिया और उसने सोचा की यदि इस तरह छोटी घटना से भारत टेबल पर बात करने के लिए तैयार हो गया है, तो यदि बड़ी सैनिक कारवाई की जाए तो भारत को टेबल पर लाकर कश्मीर के मुद्दे पर अपने हिसाब से फैसला करवा सकता है.

पाकिस्तान के 1965 युद्ध के पीछे उद्देश्य

पाकिस्तान 1965 की लड़ाई के माध्यम से वो कश्मीर को हासिल करना चाहता था. इसके अलावा वो

i.      कश्मीर के लोगो को भारत के खिलाफ भड़काना चाहता था.
ii.     कश्मीर का जो मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया था उस पर फिर से आग लगाना.
iii.     कश्मीर को अपने साथ मिलाना.

इन सभी कारणों की वजह से और अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर में अराजकता फ़ैलाने के उद्देश्य से oprestion जिब्राल्टर को lounch किया है.

ऑपरेशन  जिब्राल्टर क्या था?

 पाकिस्तान ने Operation Gibraltar अगस्त, 1965 में  start किया था, इस में पाक ने अपने special forces और paratroopers को kashmir valley में भेज दिए.

  • इस ऑपरेशन के उद्देश्य थे कि  कश्मीर के strategic point जैसे post office, bank, हाइवे, communication office,  पर कब्जा किया जाए . और वहाँ के माहौल को बिगाड़ा जाएं.
  • kashmir के लोगों को india के खिलाफ भड़काया जाएं.
  • कश्मीर में अपने सैनिकों के माध्यम से लोगो को पाकिस्तान के पक्ष में किया जाएं.

लेकिन कश्मीर की public ने उनका साथ देने से बिल्कुल इनकार कर दिया और पाकिस्तानी सैनिकों की information उन्होंने indian army को दे दी. उसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को कश्मीर से निकाल दिया.

इसप्रकार कश्मीर के लोगों की वजह से पाकिस्तान का ऑपरेशन जिब्राल्टर साफ fail हो गया.

अपने operation के fail हो जाने से तिलमिलाये पाक ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम को start किया.

operation grand slam क्या था
अपने ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद पाक ने अपनी पूरी army को कश्मीर पर लाकर भारत पर खुला हमला कर दिया. पाकिस्तान ने अपने इस ऑपरेशन का नाम "ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम" रखा.
operation grand slam का मुख्य object अखनूर पर कब्जा करना था. क्योंकि अखनूर पर यदि कब्जा किया जाता है तो भारत का कश्मीर से सम्पर्क टूट जाएगा. पाकिस्तान की सेना अपनी पूरी ताकत से अखनूर पर कब्जा करने की कोशिश की जिसका भारतीय सेना ने भी माकूल जवाब दिया.

जमीनी लड़ाई के अलावा पाकिस्तानी air forces ने कश्मीर पर बमबारी शुरू कर दी. एक समय पाकिस्तान काफी अच्छी स्थिति में था लेकिन अचानक पाकिस्तानी सेना ने अपना कमांडर बदल दिया जिससे indian army को अपनी position को मजबूत करने का टाइम मिल गया और पाकिस्तान backfoot पर चला गया.

लेकिन अभी भी पाकिस्तान की पूरी army कश्मीर बॉर्डर पर डेरा डाले हुई थी और इस दबाव को कम करने के लिए भारतीय सेना ने पंजाब में एक नया मोर्चा खोल दिया.

पश्चिमी मोर्चे पर लड़ाई कैसे लड़ी गई

  indian army ने पंजाब के रास्ते international line को cross करते हुए लाहौर की तरफ कुच कर दिया और पाक की सेना को हराते हुए army लगभग लाहौर के पास पहुँच गयी थी लेकिन अमेरिका ने अपने लोगो को लाहोर से निकलने के लिए भारत से थोडा टाइम माँगा जिससे भारतीय सेना लाहौर से पहले ही रुक गई.
 भारतीय सेना ने लाहोर के हवाई अड्डे तक अपनी पकड़ बना ली थी.

भारतीय सेना की इस कारवाई के जवाब में पाकिस्तान ने खेमकरण नामक गाँव पर हमला क्र दिया और बहुत जोरदार युद्ध हुआ. लेकिन पैटन tanks के बल पर पाक आर्मी ने खेमकरण पर कब्जा कर लिया.
खेमकरण के बाद पाक सेना अमृतसर पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ी. और indian army ने पाक army को असल उत्तर के पास रोकने का plan बनाया.  और इस प्लान के तहत असल उत्तर में हुआ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी tanks war.

असल उत्तर का युद्ध  battle of asal uttar

8 सितम्बर, 1965 को  पाक सेना अपने tanks के साथ आगे बढ़ी तो इंडियन आर्मी भी अपने टैंक लेकर मैदान में आ गयी. उस समय पाक के पास अमेरिका के दिए हुए पैटन टैंक थे तो भारत के पास वर्ल्ड वॉर 2 के समय के टैंक. लेकिन भारतीय सेना ने अपनी शानदार रणनीति से पाकिस्तानी सेना के पैटन tanks को धूल चटा दी.
शहीद अब्दुल हामिद ने अपनी गन से कई पेटन tanks को नष्ट कर दिया और पाक सेना यह दृश्य देखकर भागने लगी.

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इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 97 tanks को नष्ट किया जिसमे से 72 तो पैटन टैंक थे. जिन टेंकों पर पाकिस्तान को नाज था उन टैंक को indian army ने चींटी की तरह मचल दिया.
असल उत्तर की लड़ाई से उत्साहित इंडियन आर्मी लाहौर के बरकी तक पहुँच गयी थी. और खेमकरण पर भी वापस कब्जा कर लिया.

इसके बाद दोनों सेना ने  युद्ध की गति को धीमा कर  दिया और अपने जीते हुए क्षेत्र पर ही अधिक ध्यान देने लगी.

Air forces का योगदान

  पाकिस्तान के पास इंडिया की अपेक्षा ज्यादा अच्छे एयर क्राप्ट थे और उसने शुरुआत में इंडियन आर्मी को बहुत अधिक नुकसान दिया. पाक एयर फोर्सेज ने भारत के कई सैन्य ठिकानो (पठानकोट,जामनगर) पर हमले किए. लेकिन बाद में indian air force ने भी पाक को करारा जवाब दिया. और यह भी माना जाता है की यदि यह युद्ध थोडा लम्बा चलता तो पाक एयर फोर्सेज अपना गोला बारूद खत्म कर देती जिससे पाकिस्तान को बहुत नुकसान होता.


इस युद्ध में नेवी का कोई ज्यादा योगदान नहीं था. पाकिस्तान ने द्वारका पर थोडा बहुत atteck किया था और कोई बड़ी navy करवाई 1965 के युद्ध में नहीं हुई थी . यह युद्ध मुख्यत: जमीन और हवा में ही लदा गया था.

युद्धविराम The Ceasefire

 जब से युद्ध स्टार्ट हुआ तब से soviet union और USA युद्ध को खत्म कराने की कोशिश क्र रहा था, क्योंकि उस time cold war चल रहा था और कोई भी उस को hot war में तब्दील नहीं करना चाहता था.
दोनों के सयुंक्त प्रयास से लगभग 22-23 दिन चलने के बाद दोनों देश युद्ध विराम पर सहमत हो गये. और 22 सितम्बर 1965 को युद्ध विराम की घोषणा क्र दी गई. उसके बाद 23 सितम्बर को युद्ध रुक गया.

भारत पाक युद्ध 1965 में दोनों देशो को कितना नुकसान हुआ?

इस युद्ध की समाप्ति के बाद यदि हम इसके नुकसान की बात करे तो दोनों देश अपने-अपने  दावे दिखाते है.  लेकिन neutral आंकड़ो की माने तो इस युद्ध में पाकिस्तान के 3800 और भारत के 3,000 सैनिक मारे गये थे.

⦁    युद्ध विराम के time भारत ने पाकिस्तान की 1,840 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया था और पकिस्तान ने भारत की 545 वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा किया था.

⦁    युद्ध में पाकिस्तान के 20 वायुयान और 200 टैंक नष्ट हुए थे जबकि भारत ने अपने 175 टैंक और ६०-75 वायुयानों को खोया था.

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खुफिया ऑपरेशन covert operation

   पाकिस्तान आर्मी ने 7 september 1965 को एक covert ऑपरेशन launched किया था जिसमे उसने 135  special services group commandos को indian airfields (हलवारा, पठानकोट और आदमपुर) में उतारा था.

लेकिन पाकिस्तान को अपने इस operation में बहुत नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उनके केवल 22 commandos ही पाकिस्तान जा सके. 93 commandos को पकड लिया गया और 20 को मार दिया गया.
पाकिस्तान के इस ऑपरेशन के फ़ैल होने की मुख्य वजह बिना तैयारी और इनफार्मेशन के हमला करना था.

भारत पाक युद्ध 1965 में कौन जीता ? Who Won?

 वैसे तो दोनों देश अपनी अपनी जीत के दावे करते है तो हर साल जीत का जश्न मनाते है. लेकिन यदि neutral की माने तो इस war में भारत काफी अच्छी position पर था.
भारत ने पाक की punjab से लगी लाहौर तक की भूमि पर कब्जा किया था जो की काफी अच्छी भूमि थी जबकि पाकिस्तान के कम थोडा बहुत रेगिस्तानी भूभाग आया था.

इसके अलावा यदि यह युद्ध थोडा लम्बा खींचता तो पाकिस्तान के हथियार समाप्त हो जाते जबकि भारत के पास पर्याप्त मात्रा में हथियार थे.
इस तरह हम आसानी से ख सकते है की 1965 के युद्ध का विजेता भारत को ही मानना सही रहेगा.

 1965 में भारत की जीत का कारण

   उस टाइम पाकिस्तान के पास भारत से काफी अच्छे हथियार थे लेकिन इसके बावजूद भारत यह युद्ध जीत गया .क्योंकि

⦁      युद्ध हमेशा सैनिकों से जीता जाता है हथियारों से नहीं. भारत के सैनिक अपनी मातृभूमि पर मर मिटने के जोश से लद रहे थे और पाकिस्तानी सैनिक अपने officers के दबाव में .
⦁    भारत ने अपने पास जो भी संसाधन थे उनका बहुत अच्छे से उपयोग किया.
⦁    India ने पुरे टाइम बहुत जल्द फैसले लिए जिससे पाकिस्तान को सम्भलने का मौका नहीं मिला.
⦁    युद्ध को एक मोर्चे पर न लड़कर तीन मोर्चे पर लड़ना.
⦁    अपनी शानदार रणनीति के दम पर ही भारत ने पैटन टैंक को नष्ट किया था.

तास्कंद समझौता क्या था?

 युद्ध विराम की घोषणा पर दोनों देशो के प्रमुखों को taskent में बुलाया. तास्क्न्द पहले सोवियत यूनियन में था लेकिन उज्बेकिस्तान में है .
taskent समझौता 10 जनवरी 1966 को हुआ था सोवियत यूनियन की मध्यस्था की वजह से. इस समझौते के तहत निम्न बातों पर सहमती बनी-

⦁    दोनों देशों की सेनाएँ युद्ध से पहले वाली international line पर लौट जाएगी.
⦁    जम्मू कश्मीर में जो war से पहले CFL थी वहां पर लौटा जाएगा. इस समझौते के कारण भारत को हाजी पीर पास पाक को देना पड़ा जो की बहुत बड़ा नुकसान था.
⦁    दोनों देश युद्ध बंदियों को अपने अपने वतन भेजेगा.
⦁    दोनों देश के relation फिर से शुरू किए गये और दोनों देशों के दुतावस फिर से शुरू किए गये.
⦁    दोनों देशों ने आगे के मामले शांति से हल करने पर सहमती रखी.

इस समझौते में सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही हुआ क्योंकि इतनी अच्छी स्थिति में होने के बाद भी भारत कुछ खास हासिल नहीं कर सका. इस समझौते से भारत को जीती हुई भूमि भी वापस  करनी पड़ी.
1966 को तास्कंद समझौते में शांति की बात हुई लेकिन उसके 5 साल बाद ही 1971 की लड़ाई शुरू हो गई.

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु
  तत्कालीन PM lal bahadur shastri जी का 10 जनवरी 1966 को तास्कंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उस रात उनका हार्ट अटैक से  निधन हो गया.  

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1 comment:

  1. Really remarkable effort... Touched multy dimensions of war...Some points r really new for me.
    Thanks virsa

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