Friends प्रत्येक व्यक्ति इस दुनिया मे व्यक्तित्व निर्माण करना चाहता है, लेकिन वह अपनी मजबूरियाँ गिनाकर अपने आप को एक असमर्थ व्यक्ति के रूप मे प्रस्तुत करता है, और यह मजबूरियाँ क्या हो सकती है ? आप जरा सोचे ! व्यक्ति कहता है कि मै क्या करू, मेरा परिवार मेरा साथ नही देता , मेरे पास money नही है , मेरे पास कला नही है आदि आदि .....
लेकिन क्या आपको यह सब बहाने निराधार नही लगती ? क्योंकि इस दुनिया मे महान व्यक्तित्व का निर्माण करने वाले या सफलता प्राप्त करने वाले लोग इस सारी परिस्थतियों का सामाना कर के ही महान व सफल व्यक्ति बने है ।
इस दुनिया मे यदि आपको कुछ भी बनना है तो उसके लिए किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता स्वीकार कर लो पर शर्त यह है कि आपका नजरिया अनुकूल होने चाहिए । अर्थात आपकी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। जिस व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है वह व्यक्ति इस दुनिया मे बड़ी से बडी जंग जीत सकता है । जिसकी सोच सकारात्मक है वह कई बार हार के भी नही हारता आशावादी बनो और अपनी Life मे सफलता हासिल करो ।
दृष्टांत
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एक आदमी के जिन्दगी की कहानी बडी मशहूर है। यह आदमी 21 साल की उम्र मे बिजनेस मे नाकामयाब हो गया, 22 साल की उम्र मे वह एक चुनाव हार गया , 24 की उम्र मे उसे व्यापार मे फिर असफलता मिली, 26 साल की उम्र मे उसकी पत्नी मर गई , 27 साल की उम्र मे उसका मानसिक संतुलन बिगड गया , 34 साल की उम्र मे वह कांग्रेस का चुनाव हार गया , 45 साल की आयु मे उसे सीनेट के Election मे हार का सामना करना पड़ा , 47 साल की उम्र मे वह उपराष्ट्रपति बनने मे असफल रहा , 49 साल की आयु मे उसे सीनेट के एक और चुनाव मे नाकामयाबी मिली और वही आदमी 52 साल की आयु मे अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया । वह आदमी अब्राहम लिंकन था ।
क्या आप लिंकन को असफल मानेंगे ? वह शर्म से सिर झुका कर मैदान से हट सकते थे, और अपनी वकालत फिर शुरू कर सकते थे, लेकिन लिंकन के लिए हार केवल भटकाव थी , सफर का अन्त नही ।
आपकी सोच ही आपको सुखी करती है , और आपकी सोच ही आपको दुःखी करती है ।
दुनिया आपकी मुट्ठी मे आ जाए उसके लिए कोई तंत्र मंत्र नही है या कोई ऐसा जादू नही हो सकता जिससे दुनिया आपकी मुट्ठी मे आ जाये लेकिन यह आपका सपना जरूर हो सकता है। अगर आप अपने सपने को संकल्प मे बदल दे तो जरूर दुनिया आपकी मुट्ठी मे होगी .........
जो आप है और जो आप होगे , सपने उसका अंतराल है ।
धीरूभाई अंबानी ने भारत को डिजिटल करने का सपना देखा था। धीरूभाई का सपना था कि मै india के हर नागरिक के हाथ मे mobile phone देखूं और वह इसके द्वारा 1 मिनट की बात 1 रूपये से भी कम मे कर सके , और आज वह दिन आ गया है । लेकिन यहाँ जो महत्वपूर्ण बात है जो यह है कि रिलायंस कम्पनी के मालिक धीरूभाई ने जब यह सपना देखा था तब 1 मिनट की काल के 16 रूपये लगते थे ।
इसी तरह जब हर उत्पाद , सेवा और मद दिनो दिन महँगे होते जा रहे थे , तब रतन टाटा ने एक लाख रुपए की कार का सपना देखा था और नेनो को सामने लाकर उन्होने इस सपने को साकार भी कर लिया ।
हमे सपने देखने चाहिए । लेकिन यहाँ जो बात महत्वपूर्ण है, वह यह है कि इन सभी महान स्वप्नद्रष्टाओं ने इन सपनो को सर्वोतम काल और परिस्थतियों मे नही बल्कि बड़े कठिन समय मे देखा था ।
आप कठिन दिनो का सामना कर सकते है । आप कठिन दिनो से दो दो हाथ भी कर सकते है । लेकिन सपने जरूर देखे । जो आप है और आप होंगे , सपने उसका अंतराल है ।
मानव मन मे जो कल्पना कर सकता है , वह जो विश्वास कर सकता है , उसे प्राप्त भी कर सकता है। आपको कुछ करने की शक्ति दिए बिना , ईश्वर आपको उसे करने का विचार भी नही देता ।
सकारात्मक सोच और सपने को पुरा करने का जुनून आपको सफल बनाता है ।
सकारात्मक सोच और सपने को पुरा करने का जुनून आपको सफल बनाता है ।
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सकारात्मक सोच का महत्व बहुत ही अच्छे तरिके से बतलाया है आपने, धन्यवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी
ReplyDeleteसकारात्मकता के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी
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