गुरू और शिष्य की कहानी Guru or shishy ki kahani in hindi

           प्रेरक कहानी Motivational story

एक समय  की  बात  है  एक गांव  मे एक गुरु जी रहते थे । वे बहुत ज्ञानी और विख्यात महात्मा थे। उनके बारे मे कहा जाता था कि उन्हे एक ऐसे मंत्र का ज्ञान प्राप्त है जिससे मृत व्यक्ति भी जिन्दा है।

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जब इस बात का पता गांव वालो को लगा तो कई लोग उनके शिष्य बन कर उनकी सेवा करने लगे, जिससे कि गुरूजी प्रसन्न हो कर उन्हे वो अद्भुत मंत्र दे ।
एक युवा आदमी भी यही विचार करके गुरूजी की सेवा करने लगा ।
वह नित्य समय पर आता और गुरूजी की सेवा करता था ।
सभी शिष्य गुरूजी से जीवन दान देने वाला मंत्र देने की मांग करते तो गुरूजी यह कहकर टाल देते की समय आने पर वह मंत्र दिया जाएगा । समय बितता गया ।

एक दिन गुरूजी ने सभी शिष्य को बुलाते हुए कहा कि मै आप लोगो को वह मंत्र दे रहा हू लेकिन आपका उसे एक साल तक सिद्ध करना होगा तभी यह मंत्र काम करेगा।
गुरूजी ने सभी को वह मंत्र दे दिया । लेकिन संयोगवश वह युवा शिष्य उस दिन गुरुकुल नही आया था।
सभी लोग मंत्र सिद्ध करने मे लगे गय, जब अगले दिन वह युवा शिष्य आया तो उसे इस बात का ज्ञान हुआ की गुरूजी ने सभी को मंत्र दे दिया और वे सभी उसे सिद्ध करने के लिए तपस्या कर रहे है।

युवा शिष्य दौङता हुआ गुरूजी के पास गया और उनसे मंत्र देने की विनती करने लगा । गुरूजी ने कहा कि उन्होंने कल सभी को मंत्र देन दिया तुम नही आए ये तुम्हारी गलती है अगली बार ऐसा समय आएगा तब मै तुम्हे मंत्र दुंगा।

शिष्य ने सोचा पता नही वह समय कब आए तब तक मेरे साथी मंत्र को सिद्ध भी कर लेगे । यह सोचकर वह गुरूजी के पिछे हि पड़ गया और मंत्र देने की विनती करने लगा।
सोते उठते, खाते-पीते हर समय वह गुरूजी से मंत्र देने की मांग करता । गुरूजी भी उससे परेशान हो गए ।

एक दिन गुरूजी निवृत्त होने जंगल मे जा रहे थे तो शिष्य भी उनके पीछे हो गया और मंत्र देने की मांग करने लगा।
गुरूजी ने कहा समय आने पर दुंगा ।
शिष्य आज उनसे मंत्र लेने का निश्चय कर के आया था और गुरूजी निवृत्ति के लिए बैठे वहा जाकर कहने लगा गुरूजी मंत्र ।
 गुरूजी गुस्सा हो गए और कहा " टेम दैखे न कटेम भाग अठै सूं "
शिष्य ने सोचा यही मंत्र है और वह खुश होकर उस मंत्र का जाप करने लगा ।



प्रेरक कहानी


कुछ समय बाद गांव मे एक युवा लड़के की मौत हो गई । उसकी अभी कुछ समय पहले शादी हुई थी । सभी बहुत दुखी थे । उस व्यक्ति के शव को श्मशान घाट लाया गया । तभी लोगो को याद आया कि यहा पर कुछ लोग है जो मृत व्यक्ति को जिन्दा करने का मंत्र का जप कर रहे है। सभी लोगो ने उन्हे बुलाया ।   सभी शिष्य आए और मंत्र का प्रयोग किया लेकिन कोई असर नही  हुआ ।

किसी ने कहा कि एक ओर साधु है वह भी तपस्या कर रहा है उसे बुलाया जाए ।उसे युवा साधु को बुलाया गया । उसने आते ही मंत्र का प्रयोग किया " टैम देखे न कटैम भाग अठै सूं " और अचानक मृत व्यक्ति जीवित हो गया ।

सभी शिष्य गुरूजी के पास गए और कहने लगे कि आपने उन्हे गलत मंत्र दिया और उसे को सही ।
गुरूजी ने कहा कि मैने तो उसे मंत्र नही दिया ओर कहा कि उसको बुलाओ।
वह युवा शिष्य आया तो गुरु ने पुछा की मैने तुझे मंत्र कब दिया ।
शिष्य ने कहा कि आपने दिया था " टैम देखे न कटैम देखे भाग अठै सू "
गुरू ने कहा यह मंत्र नही था यह तो मैने तुझे जाने के लिए कहा था । यह तेरी श्रद्धा और भक्ति से सिद्ध हो गया ।


शिक्षा   इस कहानी से दो शिक्षा मिलती है ।

     ● जो भी काम करो उसे निरन्तर करो एक दिन भी उसे नही छोडना चाहिए । जैसे इस कहानी मे वह शिष्य एक दिन नही आया और मंत्र पाने से चुक गया ।
    ● दूसरी शिक्षा मिलती है कि जो काम करो पुरे मन लग्न और श्रद्धा के साथ करो तो वो निश्चित ही पूर्ण होता है । जैसा कि शिष्य ने अपने लग्न से डाँट को मंत्र के रूप मे सिद्ध कर दिया ।


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4 comments:

  1. Bahut acchi kahani share ki apne

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  2. बड़ी प्रेरक कहानी है। ऐसी कहानियां जीवन में सकरात्‍मकता काे बढ़ाती हैं और आगे बढने का मार्ग प्रशस्‍त करती हैं। आभार।

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  3. शिष्य की श्रद्धा गुरु के प्रति इतनी जटिल थी की डांट स्वरूप दी गई पंक्तियां भी उसके लिए महामृत्युंजय मंत्र बन गया यदि गुरु ने शिष्य को मृत्यु मंत्र विद्या होता तो उसकी श्रद्धा निष्ठा और गुरु के प्रति प्रेम और सच्ची लगन उस मृत्यु मंत्र गोभी अमर तत्वों में बदल देती

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