बाला साहेब ठाकरे की जीवनी
इंडिया में ऐसे बहुत से लोग हुए है जिन्होंने अपनी खुद ही पहचान बनाई और अपने समय में उनका कोई सानी नहीं था... ऐसे ही लोगो में से थे बाल केशव ठाकरे जिन्हें लोग बाला साहेब ठाकरे के नाम से बुलाते थे...बाला साहेब ठाकरे एक ऐसा नाम जिससे अच्छे अच्छे कांपते थे.. उनकी आवाज सुनकर कईयों की हेकड़ी निकल जाती थी.. वो एक शेर थे..बब्बर शेर .. जिसकी एक आवाज से मुंबई खुलती और बंद हो जाती थी...
मराठियों के हकों की लड़ाई से शुरू हुआ उनका कार्य बहुत जल्द हिन्दुत्त्व के लिए बदल गया.. वे खुलकर कहते थे की यदि हिन्दुओं का खुलकर जीना है तो उन्हें लड़ना होगा... यदि सम्मान की जिन्दगी जिनी है तो लड़ों... अपने हक के लिए लड़ो...
बाला साहेब को लोग हिन्दू हृदय सम्राट कहते है...उनका एक किस्सा बहुत जाना माना है - ' एक बार आतंकवादियों ने कहा की कोई भी अमरनाथ के लिए यात्री नहीं जायेगा यदि जायेगा तो जिन्दा वापिस नहीं आएगा ...' इस वजह से अमरनाथ यात्रा पर संकट के बादल मंडराने लगे... तब बाला साहब ने कहा था कि -' हज के लिए 99% फ्लाइट्स मुंबई से जाती है अब मै भी देखता हु कोई मक्का मदीना कैसे जाता है?'
और इस बात का इतना असर हुआ की अगले ही दिन अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई...
आज हम ऐसे ही बाला साहेब के जीवन के बारें में पढ़ने -----
बाला साहेब का परिचय ( Introduction)
नाम - बाल केशव ठाकरे
जन्म - 23 जनवरी 1926
पिता - केशव सीताराम ठाकरे (प्रबोधनकर )
माता - रमा बाई
कार्य - कार्टूनिस्ट और राजनीति
पार्टी - शिव सेना
मृत्यु - 17 नवम्बर 2012
जन्म - 23 जनवरी 1926
पिता - केशव सीताराम ठाकरे (प्रबोधनकर )
माता - रमा बाई
कार्य - कार्टूनिस्ट और राजनीति
पार्टी - शिव सेना
मृत्यु - 17 नवम्बर 2012
प्रारम्भिक जीवन परिचय ( Early Life Of Bala Saheb Thackeray )
बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1928 को पुणे में हुआ था .. रमा बाई और केशव सीताराम ठाकरे उनके माता-पिता थे.. बाल ठाकरे के पिताजी सामाजिक कार्यकर्ता थे और उनके ही व्यक्तित्व का प्रभाव बाला साहेब पर भी बहुत पड़ा.. बाला साहेब उनकी तरह सीधी बात कहते थे और वो जो भी बात कहते थे उसे सीना ठोक कर कहते थे..
बाला साहेब ने कार्टूनिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.. वे free press journal मुंबई के लिए cartoon बनाते थे..उनके कई कार्टून The Times Of India में भी छपे थे.. बाला साहब अपने कार्टून में बहुत तीखे हमले करते थे.. वे एक बार सोच लेते की आज मुझे उस पर कार्टून बनाना है तो वे उस पर कार्टून बना कर ही दम लेते थे ...
उसके बाद में बाला साहब ने 1960 में स्थानीय भाषा में मार्मिक नामक पत्रिका अपने भाई श्रीकांत ठाकरे के साथ मिलकर निकाली..और बाला साहब उसमें तीखे हमले करते कार्टून छापने लगे.. उन्होंने कझा था कि ' यह पत्रिका उनके परिवार के भरण - पोषण के के लिए है '... और ऐसा सिर्फ वो ही कह सकते थे..
बाला साहेब का निजी जीवन ( Personal Life )
बाला साहब और मीना ताई के तीन पुत्र हुए - बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे...
बाला साहब के जीवन में 1995 का काल उनपर काल बनकर टुटा.. उनकी जीवन संगिनी का इस वर्ष निधन हो गया और अगले ही वर्ष उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव का कार एक्सीडेंट में निधन हो गया ...
बाला साहेब और मराठी मानुस का मुद्दा
बाला साहब ने मार्मिक पत्रिका के माध्यम से मराठी मानुस का मुद्दा उठाया.. उन्होंने मराठी लोगो के हित में कई कार्टून भी बनाये..
गुजरातियों और दक्षिण भारतियों के महाराष्ट्र में व्यवसाय अधिक थे और उसमें मराठी लोगो को नौकरी नहीं मिलती थी..यदि कई मिलती भी तो बड़े बड़े ओहदे नहीं मिलते है...
दक्षिण भारतीय को वहां से हटाने के लिए एक नारा दिया -"लुंगी हटाओ- पुंगी बजाओ" .. और इस आन्दोलन के तहत वहां पर दक्षिण भारतियों के office में तोड़ फोड़ की और उनके साथ मारपीट भी की गई...
1969 में बाला साहब को गिरफ्तार किया गया ...लेकिन उनके समर्थको ने मुंबई में भयंकर माहौल बना दिया और वहां पर पुलिस भी फ़ैल होने लगी.. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बाला साहब से विनती की और उनसे लोगो से अपील करने के लिए आग्रह किया... जो भीड़ पुलिस और प्रशासन शांत नहीं कर सकी वो भीड़ बाला साहब के एक अपील से शांत हो गई ...
यह सब बाला साहब के रुतबे और उनकी पॉवर का प्रभाव था..
शिव सेना की स्थापना
बाला साहब ने 19 जून 1966 में नारियल फोड़ कर शिव सेना की स्थापना की .. और शिव सेना की स्थापना मार्मिक पत्रिका की सफलता से ही प्रेरित हो कर की गई.. जब पार्टी की पहली बैठ बुलाई गई तो उसमे पचास हजार लोगो के बैठने की व्यवस्था की गई लेकिन तब वहां पर करीब दो लाख लोग आये और यहाँ से ही बाल केशव ठाकरे , बाला साहब ठाकरे के नाम से पहचाने जाने लगे...
शिव सेना की जब स्थापना की गई तब यह शांत सगंठन था और मराठी लोगों के मुद्दे उठाता था.. उससे मराठी लोगो का जुडाव शिव सेना के साथ बढ़ने लगा ... शिव सेना ने 1968 में मुंबई की BMC के चुनाव में भाग लिया और 40 मेंसे 15 सीटों पर कब्जा जमा लिया..
यहाँ से politics में आई शिव सेना ने 1974 में BMC पर जीत हासिल की और 1985 के बाद BMC पर लगातार जीतती आ रही है...
1989 में मराठी में सामना दैनिक की शुरुआत की गई... और यह अख़बार अपनी तीखी टिप्पणी के लिए जाना जाता है..
शिव सेना ने 1995 में भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिला लिया और विधानसभा पर कब्जा जमा लिया...शिव सेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने..
बाला साहेब के वे कार्य और बयान जो उन्हें खास बनाते है..
बाला साहब अपने तरीके के अकेले नेता थे वो अपने बेबाक बोलो के लिए जाने जाते थे.. और वे जो भी कहते थे सोच समझकर कहते थे लेकिन एक बार जो बात कह देते थे वो पत्थर की लकीर हो जाती जाती...
- 1992 में जब अयोध्या में बाबरी मंजिद को गिराया गया तब सभी लोग ना नुकर करने लगे थे तब आप की अदालत में बाला साहब से सवाल किया गया की- ' क्या मंजिद गिराने में शिव सैनिकों का हाथ है?'
तब बाला साहब ने कहा था कि -' यह तो शिव सैनिको और हमारे लिए गौरव की बात है...'यदि अपने आप को बनाये रखना है तो हिन्दुओं को खड़ा होना होगा..'
- जब इंदिरा गाँधी ने जब 1975 में आपातकाल लगाया था तब बाला साहब ठाकरे ने इंदिरा जी के इस कदम का समर्थन किया था...
- बाला साहेब हिटलर और श्रीलंका के सगंठन लिट्टे के मुरीद थे..
- 2007 के राष्ट्रपति के चुनाव में जब NDA ने भैरू सिंह जी का समर्थन किया था तब बाला साहब ने श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का समर्थन किया था... क्योंकि प्रतिभा पाटिल मराठी थी..
- एक बार बाला साहब ने मुसलमानों को कैंसर तक कह दिया था..
- बाला साहब में एक ख़ास बात थी कि वे किसी से मिलने नहीं जाते थे जिसको मिलना होता था वो मातुश्री में आता था...
- बाला साहब ने वीपी सिंह द्वारा लाए गये मंडल कमिशन का विरोध किया था.. और इसी कारण उनके एक साथी छगन भुजबल ने शिव सेना से खुद को अलग कर लिया था...
बाला साहेब पर वोट देने का प्रतिबंध
बाला साहब के जीवन में कई उतार-चढाव आये.. वे अपने विवादित बोलो के कारण हमेशा चर्चा में रहते थे.. और कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा था..
एक बार बाला साहब पर चुनाव में वोट डालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था... बात है सन 1999 की .. जब चुनाव आयोग ने बाला साहब को मत डालने के अधिकार से वंचित कर दिया था... चुनाव आयोग ने 28 जुलाई 1999 को बाला साहब के voting rights पर 6 साल के लिए banned लगा दिया था. इस कारण वे 11/12/1999 से 10/12/2005 तक उन के मत डालने पर रोक लगी रही...
बाला साहब ने एक बार भी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन उनका रुतबा महाराष्ट्र में CM से कम नहीं था...उनकी एक आवाज पर हमेशा चलने वाली मुंबई बंद हो जाती थी.. उनका प्रभाव ऐसा था की उनके विरोधी भी उनसे मिलने आते थे..
बाला साहेब ठाकरे की मृत्यु
बाला साहब अपने जीवन के अंतिम दिनों में बहुत कमजोर हो गये थे... और वे अधिकतर समय अपने निवास मातुश्री में ही रहते थे.. बाला साहब हमेशा दशहरा पर भाषण देते थे लेकिन 2012 के दशहरे के मौके पर हमेशा अंगारों की भाषा बोलने वाला भाषण देने नहीं आया और घर से ही video live के माध्यम से भाषण दिया था...
और लाखों दिलों की धडकन , हजारों लोगो के आदर्श और हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहब ठाकरे ने 17 नवम्बर 2012 को अंतिम साँस ली... बाला साहब के निधन की खबर से हमेशा चलने वाली मुंबई अपने आप बंद हो गई थी..
लाखों लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए और करोड़ों लोगों ने टीवी के माध्यम से लाइव देखा था....
बाला साहेब को 21 तोपों की सलामी दी गई जबकि वे न तो राष्ट्रपति थे और न ही प्रधानमन्त्री .... ये सब बाला साहब का रुतबा और उनका प्रभाव था....
बाला साहब का अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में किया गया... और एक बब्बर शेर पंच तत्वों में विलीन हो गया...बाला साहब के साथ ही एक युग का अंत हो गया...
- सरदार पटेल का जीवन
- भगत सिंह की जीवनी
- डॉ. सर्वपल्ली राधकृष्णकी जीवनी
- महाराणा प्रताप की जीवनी
- मणिबेन पटेल की जीवनी
- विजय लक्ष्मी पंडित की जीवनी
- मार्शल अर्जन सिंह
- मदर टेरेसा की जीवनी
बाला साहब की जीवनी आपको कैसी लगी? आप कमेंट्स करके जरुर बताएं और यदि अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.....
NOTE - यदि आपको हमारी इस post में कोई गलती नजर आती है तो हमे जरुर बताएं और यदि आपके पास बाला साहब से जुडी कोई जानकारी हो तो हमारे साथ जरुर शेयर करे....
Great written hkm
ReplyDeletethanks jitsa
ReplyDelete