युवाओ के लिए प्रेरणादायी कविता
ये मंजिल कैसे मिलेगी?
ये मंद मंद गति क्यों?
ये अलसाई सी अंगड़ाई क्यों?
किसकी आस में तुम बैठे हो,
राह किसकी तुम देखते हो।
क्यों हवा में महल बनाते हो?
क्यों सपनों मे ही खोते हो?
हाथ मलोगे, जब सुबह होगी,
क्यों जीवन ऐसे गंवाते हो?
शल्य बने बैठे है जग में,
रथ धंसा देंगे जमीं में।
बना निहत्था तुझे,
मस्तक कौन्तेय से कटवा देंगे।
जब बाण चढ़े थे गांडीव पर,
तब हक पांडवो को मिला था।
बढा हाथ जब धनु को,
तब सिन्धु कदमों में पड़ा था।
न पाँव जमीं पर न हाथ धनुष पर,
ये विजय तुम्हे कैसे मिलेगी?
मांगे न भीख मिलती,
ये मंजिल तुम्हे कैसे मिलेगी?
विरम सिंह सुरावा
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Osm and very Inspirational poem hukm
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/11/2018 की बुलेटिन, " गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत खूब
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