पिछले कुछ Time से मै Blog पर नहीं आ सका,
क्योंकि मेरा exam था और उसकी तैयारी करने में busy होने के कारण में पोस्ट नहीं
कर सका |
24 दिसम्बर को एग्जाम हो गया | उसके बाद 6
दिनों के लिए शिक्षा संबल कार्यक्रम के तहत हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड और विद्या
भवन के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित 6 दिवसीय शीतकालीन शिविर में आजोलियो का खेडा,
चंदेरिया ( चितौड़ ) में था | वहा पर नवी
व दसवी class के students के साथ हम लोगो ने काम किया| कैंप में कई नई बातें सिखने
को मिली |
आज इस पोस्ट में आपको कैंप के अनुभवों के बारे
में ही बता रहा हूँ | आप को मेने पहले ही
बता दिया था की मै विद्या भवन उदयपुर से BSTC कर रहा हूँ| तो इसी वजह से मुझे
विद्या भवन सोसायटी के साथ काम करने का मौका मिला |
26 दिसम्बर 2016 से 31 दिसम्बर 2016 तक शिक्षा
सम्बल कार्यक्रम के तहत अजोलियो का खेडा, चंदेरिया ( चितौड़) के school में 9वी व 10वी
class के students को पढ़ाने का मौका मिला |
26 दिसम्बर को हम 4 लोगो की टीम नेहा यादव, हैदर सर, सीबी मेम और मै
मोर्निंग में 8:00 बजे उदयपुर से चितौड के लिए रवाना हो हुए| हम लोग लगभग 10 बजे चंदेरिया पहुंचे और हम लोग जिंक
नगर के गेस्ट हाउस में रुके वहा पर श्रीमती Snigdha Das मिली और 5 लोगो की टीम हो
गयी |
बाद में हम लोग सीधे स्कूल में गये और वहा पर
हम 5 लोगो के अलावा विद्या भवन के 3 FI और स्कूल के प्रिंसिपल का साथ मिला | कैंप
में 3 सब्जेक्ट ( English, Maths, Science ) की तैयारी करवाई गयी | कैंप में हमने स्टूडेंट्स को छोटे छोटे group
में बाँट कर subjects के अनुसार स्टडी करवाई |
इन 6 days में बहुत सी नई बात सिखाने और सीखने
को मिली | students ने आनन्द के साथ पढाई की और नई बातें सीखी | स्टूडेंट्स को
Science को प्रयोग के माध्यम से समझाया और maths को भी रोचक तरीके से पढाया जिसकी
वजह से बच्चो ने भी मन लगा क्र study की और मैथ्स & साइंस को जाना व समझा |
मुझे वहा पर मैथ्स पढ़ाने का मौका मिला और
साइंस के प्रयोग भी करवाए | हमने बच्चो को खेल खेल में पढ़ाने की तकनीक को अपनाया
जिससे स्टूडेंट्स भी अच्छे तरीके से समझ सके | सामान्यत यह कहा जाता है की सरकारी
स्कूल के बच्चे पढ़ने में कमजोर होते है या वे पढ़ने में रूचि नहीं लेते है | लेकिन
जो हालत हमने वह पर देखि उसके हिसाब से हम कह सकते है की सरकारी स्कूल के
स्टूडेंट्स मंदबुद्धि या कमजोर नहीं होते है वे आगे इसलिए नहीं आ पाते है क्योकि
उन्हें वो सब fecility नहीं मिलती जो private स्कूल के स्टूडेंट्स को मिलती है |
हमने जो हालत उस स्कूल में देखि उसके अनुसार
निम्न कारण से सरकारी स्कूल के बच्चे आगे नहीं आ पाते है –
1 भौतिक सुविधाओ की कमी – जैसे स्कूल भवन ,
फर्नीचर आदि की कमी | हम जिस स्कूल में गये वो 12th तक था और उसमे बैठने के लिए
पर्याप्त classroom नहीं थे | उस में एक room में 60 स्टूडेंट्स को बैठाया जाता है
जबकि एक रूम में 30 स्टूडेंट्स ही आराम से बैठ सकते है |
2 Teachers की कमी |
3 Villagers का रूचि न लेना |
4 अधिकारियों का रूचि न लेना |
हमने 6 days तक जो काम किया उसमे स्टूडेंट्स
ने बहुत अच्छे से सिखा और अच्छे से समझा | हमने बच्चो को उस घिसे पिटे तरीके से न पढ़ाकर
नए और वैज्ञानिक तरीके से पढाया | जिससे स्टूडेंट्स को पढ़ने में बहुत आनन्द आया और
उन्होंने मजे लेकर पढाई की | इन 6 दिन के
अनुभव के हिसाब से में कह सकता हु की बच्चे जिज्ञासु और सीखने की ललक वाले होते है
उनके सपने बहुत ऊँचे होते है और उनके मन में कुछ करने की चाहत होती है बस आवश्यकता
होती है उन्हें सही दिशा देने की और उन्हें motivate करने की |
दोस्तों इन 6 days मे सभी team मेम्बर ने सहयोग
की भावना के साथ काम किया और कैंप में बहुत मजा आया |
नववर्ष मंगलमय हो।
ReplyDeleteआपको भी नववर्ष की बधाई
ReplyDeleteबच्चे जिज्ञासु और सीखने की ललक वाले होते है उनके सपने बहुत ऊँचे होते है और उनके मन में कुछ करने की चाहत होती है बस आवश्यकता होती है उन्हें सही दिशा देने की और उन्हें motivate करने की ..
ReplyDeleteबिलकुल सही आपने ..यह बात टीचर को समझनी जरुरी है ...उन्हें अपडेट होना जरुरी है ...
बहुत अच्छी जानकारी ...
नए साल की शुभकामनाएं
नव वर्ष की शुभकामनाये कविता जी
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