कई बार हमारे सामने ऐसी situation आ जाती है जहाँ पर हम confuse हो जाते है. उस time हमे अपनी बुद्धि से काम लेना होता है लेकिन हम tension में आ जाते है. ओस कारण हम उस कार्य में सक्सेस भी नहीं हो पाते है.
आज हम एक ऐसी story share कर रहे है जिससे आप समझ जाएँगे की बुद्धि का उपयोग करके हम कैसे success हो सकते है.
एक गाँव में दो दोस्त रहते थे, सूरज और मनोज. दोनों दोस्तों में गहरी दोस्ती थी. सूरज एक गरीब family से belong करता था और मनोज middle class family से था. दोनों धीरे धीरे बड़े हो गये. परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के उद्देश्य से सूरज ने मनोज से कहा कि हम दोनों की हालात लगभग एक जैसे है, हम यहाँ पर अच्छे पैसे नहीं कमा सकते क्यों नहीं हम देसावर ( out of state) जाकर कुछ काम करे?
मनोज को भी सूरज का idea पसंद आ गया. दोनों friends कमाने के लिए निकल गए. देसावर में उन दोनों ने बहुत hard work किया और अपने पास अच्छी money जमा कर ली.
5-6 साल तक वहां पर पैसे कमाने के बाद उन्होंने घर वापिस जाने का decide किया. दोनों दोस्तों वहां से पैसे लेकर घर की तरफ रवाना हो गये.
जब वे दोनों गाँव के पास पहुंचे तो सूरज ने मनोज से कहा की "हम दोनों इतने पैसे एक साथ लेकर गाँव जा तो रहे है कई इतने पैसे देखकर रिश्तेदारों की नियत बिगड़ गई तो?"
मनोज ने कहा बात तो तुम्हारी भी सही है लेकिन तो क्या करे?
सूरज ने जवाब दिया क्यों नही हम इन पैसों को यहाँ जंगल में छुपा देते है और थोड़े पैसे लेकर घर जाते है. जब हमे जरूरत होगी तब हम यहाँ आकर लेकर जाते रहेंगे. मनोज ने उसकी बात मान ली और पैसों को वहां पर छुपा दिया.
दोनों कुछ पैसे लेकर घर पहुँच गये. कुछ दिन बीत जाने के बाद सूरज के मन में लालच जाग गया और उसने सारे पैसे वहां से निकल कर ले आया.
morning में वह मनोज के पास गया और बोला की मुझे कुछ पैसों की जरूरत है चल अपन पैसे लेकर आते है. जब दोनों वहां जाकर देखा तो उन्होंने पाया की वहां पर तो कुछ भी नहीं है.
सूरज ने मनोज से कहा की पैसे तुमने ही लिए होंगे इसलिए तो तुझे पैसों की जरूरत नहीं पड़ी. मनोज ने बहुत सफाई दी लेकिन सूरज पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
फिर दोनों ने राजा के पास जाकर न्याय माँगा. मनोज ने पूरी बात राजा को बताई तो राजा भी सोच में पद गया की इसका हल कैसे किया जाए. लेकिन तुसरी तरफ सूरज को लगा की कई राजा को इस बात का पता न चल जाए इसलिए उसने चालाकी से काम लेने का सोचा.
उसने राजा से कहा की जहाँ पर हमने पैसे छुपाएँ थे वहां पर एक बड़ा सा पेड था वो ही आपको सच्चाई बता सकता है.
राजा भी सोच में पड़ गया कि आखिर एक पेड़ कैसे सबूत दे सकता है? लेकिन बात को जानने के लिए अगले दिन जंगल में चलने का आदेश दे दिया.
सूरज ने रात को घर जाकर अपने पिता से कहा कि आप उस पेड़ की खोह में छुप जाना, जब राजा पूछे की धन किसने लिया तो आप मनोज का नाम ले लेना. उसके पिता ने ऐसा ही किया और वो पेड़ में जाकर बैठ गया.
अगले दिन सब लोग जैसे ही वहां पर पहुंचे तो राजा ने पेड़ से पूछा की बताओ चोरी किसने की?
पेड़ मेसे आवाज आयी - " मनोज ने चोरी की है."
यह सुनकर सब सोच में पड़ गए की ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन मनोज को दाल में कुछ काला लगा उसने तुरंत अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और आसपास से घास व लकड़ी एकत्रित करके पेड़ के चारों ओर आग लगा दी.
पेड़ के आग लगते ही अंदर बैठा सूरज का बाप जलने लगा और वह कूद कर बाहर आ गया. यह सब देखकर सभी लोगो को सच्चाई समझ में आ गई और राजा के आदमियों ने सूरज तथा उसके पिता को पकड़ लिया.
इसप्रकार मनोज ने अपनी बुद्धि से अपनी सच्चाई साबित कर दी और अपने धन को भी वापिस प्राप्त कर लिया.
read also
जब भी आपके सामने ऐसी कोई problem आये तो उस time भयभीत होने या शोक मनाने की बजाय आप उस टाइम अपनी बुद्धि से काम लीजिए आप जरुर success हो जाएँगे.
एक बात ओर इस कहानी से हम सीख सकते है कि " सच दुखी हो सकता है लेकिन हार नहीं सकता." इसलिए सदैव सच्चाई का साथ दे और हमेशा ईमानदार बने रहे क्योंकि honesty is best policy.
दोस्तों आपको हमारी यह story पसंद आयी हो तो इसे आप अपने फ्रेंड्स के साथ facebook, whatsapp पर जरुर share करे और हमारी new post को अपने email पर पाने के लिए हमारा free email subscription जरुर ले.
आज हम एक ऐसी story share कर रहे है जिससे आप समझ जाएँगे की बुद्धि का उपयोग करके हम कैसे success हो सकते है.
inspirational stories in hindi
read alsoएक गाँव में दो दोस्त रहते थे, सूरज और मनोज. दोनों दोस्तों में गहरी दोस्ती थी. सूरज एक गरीब family से belong करता था और मनोज middle class family से था. दोनों धीरे धीरे बड़े हो गये. परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के उद्देश्य से सूरज ने मनोज से कहा कि हम दोनों की हालात लगभग एक जैसे है, हम यहाँ पर अच्छे पैसे नहीं कमा सकते क्यों नहीं हम देसावर ( out of state) जाकर कुछ काम करे?
मनोज को भी सूरज का idea पसंद आ गया. दोनों friends कमाने के लिए निकल गए. देसावर में उन दोनों ने बहुत hard work किया और अपने पास अच्छी money जमा कर ली.
5-6 साल तक वहां पर पैसे कमाने के बाद उन्होंने घर वापिस जाने का decide किया. दोनों दोस्तों वहां से पैसे लेकर घर की तरफ रवाना हो गये.
जब वे दोनों गाँव के पास पहुंचे तो सूरज ने मनोज से कहा की "हम दोनों इतने पैसे एक साथ लेकर गाँव जा तो रहे है कई इतने पैसे देखकर रिश्तेदारों की नियत बिगड़ गई तो?"
मनोज ने कहा बात तो तुम्हारी भी सही है लेकिन तो क्या करे?
सूरज ने जवाब दिया क्यों नही हम इन पैसों को यहाँ जंगल में छुपा देते है और थोड़े पैसे लेकर घर जाते है. जब हमे जरूरत होगी तब हम यहाँ आकर लेकर जाते रहेंगे. मनोज ने उसकी बात मान ली और पैसों को वहां पर छुपा दिया.
दोनों कुछ पैसे लेकर घर पहुँच गये. कुछ दिन बीत जाने के बाद सूरज के मन में लालच जाग गया और उसने सारे पैसे वहां से निकल कर ले आया.
morning में वह मनोज के पास गया और बोला की मुझे कुछ पैसों की जरूरत है चल अपन पैसे लेकर आते है. जब दोनों वहां जाकर देखा तो उन्होंने पाया की वहां पर तो कुछ भी नहीं है.
सूरज ने मनोज से कहा की पैसे तुमने ही लिए होंगे इसलिए तो तुझे पैसों की जरूरत नहीं पड़ी. मनोज ने बहुत सफाई दी लेकिन सूरज पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
फिर दोनों ने राजा के पास जाकर न्याय माँगा. मनोज ने पूरी बात राजा को बताई तो राजा भी सोच में पद गया की इसका हल कैसे किया जाए. लेकिन तुसरी तरफ सूरज को लगा की कई राजा को इस बात का पता न चल जाए इसलिए उसने चालाकी से काम लेने का सोचा.
उसने राजा से कहा की जहाँ पर हमने पैसे छुपाएँ थे वहां पर एक बड़ा सा पेड था वो ही आपको सच्चाई बता सकता है.
राजा भी सोच में पड़ गया कि आखिर एक पेड़ कैसे सबूत दे सकता है? लेकिन बात को जानने के लिए अगले दिन जंगल में चलने का आदेश दे दिया.
सूरज ने रात को घर जाकर अपने पिता से कहा कि आप उस पेड़ की खोह में छुप जाना, जब राजा पूछे की धन किसने लिया तो आप मनोज का नाम ले लेना. उसके पिता ने ऐसा ही किया और वो पेड़ में जाकर बैठ गया.
अगले दिन सब लोग जैसे ही वहां पर पहुंचे तो राजा ने पेड़ से पूछा की बताओ चोरी किसने की?
पेड़ मेसे आवाज आयी - " मनोज ने चोरी की है."
यह सुनकर सब सोच में पड़ गए की ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन मनोज को दाल में कुछ काला लगा उसने तुरंत अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और आसपास से घास व लकड़ी एकत्रित करके पेड़ के चारों ओर आग लगा दी.
पेड़ के आग लगते ही अंदर बैठा सूरज का बाप जलने लगा और वह कूद कर बाहर आ गया. यह सब देखकर सभी लोगो को सच्चाई समझ में आ गई और राजा के आदमियों ने सूरज तथा उसके पिता को पकड़ लिया.
इसप्रकार मनोज ने अपनी बुद्धि से अपनी सच्चाई साबित कर दी और अपने धन को भी वापिस प्राप्त कर लिया.
read also
moral
मनोज की तरह हमे भी ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है. कुछ लोग उन हालातो से दर कर हार मान लेते है और कुछ लोग उन हालात से लड़ कर success हो जाते है.जब भी आपके सामने ऐसी कोई problem आये तो उस time भयभीत होने या शोक मनाने की बजाय आप उस टाइम अपनी बुद्धि से काम लीजिए आप जरुर success हो जाएँगे.
एक बात ओर इस कहानी से हम सीख सकते है कि " सच दुखी हो सकता है लेकिन हार नहीं सकता." इसलिए सदैव सच्चाई का साथ दे और हमेशा ईमानदार बने रहे क्योंकि honesty is best policy.
दोस्तों आपको हमारी यह story पसंद आयी हो तो इसे आप अपने फ्रेंड्स के साथ facebook, whatsapp पर जरुर share करे और हमारी new post को अपने email पर पाने के लिए हमारा free email subscription जरुर ले.
Loading...
धन्यवाद विरम सिंह जी | बहुत ही motivational story है |
ReplyDelete