दोस्तो जन्माष्टमी पर भगवान् श्रीकृष्ण और नारदजी की काल्पनिक वार्तालाप प्रस्तुत कर रहे है यदि यह पोस्ट आपके दिल को छू जाए तो शेयर अवश्य करे ।
वार्तालाप
वार्तालाप
नारदजी - अरे प्रभु! आज आपका जन्मदिन ( जन्माष्टमी ) है और आप इतने उदास कैसे ?
श्री कृष्ण - अरे नारदजी इसकी तो चिंता है । जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे news chanel खोलकर तो देखो , आप को सब पता चल जाएगा ।
नारदजी - ऐसा क्या चल रहा है news मे ?
श्री कृष्ण - जन्माष्टमी पर ' मथुरा, वृंदावन और गोकुल ' मे दुध और दही से लोग मेरी मूर्ति का अभिषेक कर रहे है । और सारा द्रव पानी की तरह बह रहा है ।
नारदजी - अरे प्रभु ! यह तो भक्तो का आपके प्रति प्यार है ।
श्री कृष्ण - मुनीवर मेरा एक बेटा मंदिर के बाहर दो - तीन दिन से भूखा पड़ा है और दुसरा बेटा मूर्ति पर अभिषेक करके दुध दही बर्बाद कर रहा है तो दुख तो होगा ।
नारदजी - बात तो विचार करने लायक है । तो प्रभु आपकी क्या इच्छा है ?
श्री कृष्ण - जिस प्रकार मिष्ठान आदि का थोड़ा भोग मुझे चढ़ा कर बाकी प्रसाद रूप मे बांट दिया जाता है उसी प्रकार दूध दही का थोड़ा सा भोग लगा कर शेष द्रव मेरे भक्तो मे बांट देना चाहिए ।
नारदजी - परन्तु आपकी यह बात भक्तो तक पहूचाएँ कैसे ?
श्री कृष्ण - इसलिए तो आपको याद किया है मुनिवर, समाचार फैलाने का काम आपसे ज्यादा अच्छा कौन कर सकता है ?
नारदजी - प्रभु मै अकेला किस किस को समझाउगा ? मेरे पास एक आईडिया है ।
श्री कृष्ण - तो देर क्यो ? बताओ
नारदजी - आज कल पृथ्वी लोक पर social sites के माध्यम से कोई भी संदेश सभी लोगो तक पहूचाया जा सकता है । और आज के युवा इस संदेश को फैला कर यह फालतू दिखावा बंद करा सकते है ।
श्री कृष्ण - बहुत अच्छा विचार है आपका ।
नारदजी - अब मुझे आज्ञा दिजिए ! नारायण ...... नारायण
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