ओ म्हारी पढा़ई छे नखराळी ऐ माँ
पढ़ाई करवा म्हें जास्याँ
ओ माँ पढ़ाई करवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने पढता ने किताब लादयो ऐ माँ
पढ़ाई करवा म्हें जास्याँ
ओ माँ पढ़ाई करवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने पढता ने कागज कलम लादयो ऐ माँ
पढा़ई करवा म्हें जास्याँ
ओ माँ पढा़ई करवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने बालपने मे मत देजो रे माँ
पढाई करवा म्हें जास्याँ
ओ माँ पढाई करवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने चार आखर पढ़न दिजो रे माँ
पढा़ई करवा म्हें जास्याँ
ओ माँ पढा़ई करवा म्हें जास्याँ
ओ म्हारी पढाई छे नखराळी ऐ माँ
पढाई करवा म्हें जास्याँ ...
विरम सिंह
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 19 सितम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने .. बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद जी
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