Scheduled Castes and Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार ) निरोधक अधिनियम, 1989
sc st act in hindiSC ST Act कब आया ?
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम को राजीव गाँधी की सरकार ने 11 सितम्बर 1989 को संसद में पेश किया था. उस समय कांग्रेस के पास भारी बहुमत था इसलिए यह बिल उसी दिन पारित हो गया.SC ST बिल को संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद इस पर 30 जनवरी, 1990 को राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी और इसके बाद यह अधिनियम जम्मू कश्मीर को छोड़ कर पुरे भारत में लागु हो गया.
SC ST Act क्यों बनाया गया?
जब संसद में इस को पेश किया गया तब कहा गया था कि आजादी के बाद भी दलितों की स्थिति में कोई खास बदलाव नही आया है. आज भी SC ST के लोगो को दबाया जाता है और उन्हें अपमानित किया जाता है.इन के साथ होने वाले अन्याय को परिभाषित नहीं किया जा रहा है और प्रभावशाली लोग अपने प्रभाव से हर उठने वाली आवाज को दबा देते है.
भारतीय दंड संहिता (IPC) और सिविल राइट एक्ट 1955 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगो को न्याय दिलाने में कमजोर पड रहे है.
इस कारण एसी एसटी के लोगो को न्याय दिलाने के लिए एक ऐसे कानून की जरूरत थी जो उन्हें अत्याचर से लड़ने में help कर सके. इन सभी बातों का हवाला देते हुए इस एक्ट को बनाया गया था.
SC ST Act किस पर लागु होता है ?
SC ST Act उन सभी लोगो पर लागु होता है जो sc st cast से belong नहीं करते है. यह एक्ट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगो पर होने वाले अपराधों से रक्षा करता है.इस act में 5 अध्याय और 23 धाराएँ है .
इस एक्ट के तहत यदि किसी sc st के व्यक्ति पर कोई upper cast का व्यक्ति अपराध करता है तो उस व्यक्ति पर IPC की धारा तो लगेगी परन्तु साथ ही sc st act की धारा भी लगेगी.
किस अपराध पर SC ST एक्ट लागु होता है?
यदि कोई गैर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति sc st के व्यक्ति के खिलाफ निम्न मेसे यदि कोई भी अपराध करता है तो यह एक्ट प्रभावी होता है-⦁ यदि किसी SC ST के व्यक्ति के साथ व्यापार करने से इंकार करता है.
⦁ यदि SC ST के व्यक्ति को नौकरी देने से इंकार करना.
⦁ अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगो को जबरन मलमूत्र खिलाना या अपमानित करना.
⦁ उन्हें किसी सार्वजनिक जगह पर जाने से रोकना.
⦁ SC ST के व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार करना.
⦁ एससी एसटी के व्यक्ति के साथ मारपीट करना या परिवार के सामने अपमानित करना.
⦁ अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति के जबरन कपड़े उतारना और नंगा करके सार्वजनिक स्थल पर घुमाना.
⦁ इनके चेहरे पर कालिख लगाना या paint करना.
⦁ इस केटेगरी के लोगो को जबरन घर से निकालना या घर छोड़ने के लिए मजबूर करना.
⦁ अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ झूठा आरोप लगाना .
⦁ SC ST की महिला को अपमानित करना या उसका यौन शोषण करना.
⦁ SC ST के व्यक्ति को किसी विशेष व्यक्ति को vote देने के लिए मजबूर करना.
⦁ अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की भूमि पर जबरन कब्जा करना.
यदि इनमेंसे कोई अपराध किया जाता है तो उस पर SC ST Act, 1989 लागु होता है.
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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट में सजा क्या होती है?
⦁ यदि किसी व्यक्ति पर इस एक्ट के तहत केस दर्ज होता है तो उसकी तुरंत गिरफ्तारी की जाती है और उसे अग्रिम जमानत भी नहीं मिलती है.
⦁ पकडे जाने के बाद भी व्यक्ति को केवल high court ही जमानत दे सकता है.
⦁ sc st एक्ट के मामलो की सुनवाई एक विशेष अदालत करती है जो SC ST Act की धारा 14 के तहत बनाई गयी है.
⦁ व्यक्ति को IPC की सजा के अतिरिक्त इस एक्ट के तहत 6 महीने से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है.
⦁ यदि केस किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ है तो उसे तब ही दर्ज किया जा सकता है जब वो जाँच में दोषी पाया जाता है.
इस प्रकार अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम के तहत सजा होती है. लेकिन इस एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी होती है और जमानत भी नहीं मिलती इस कारण से कुछ लोग इसका दुरूपयोग भी करने लगे है.
किसी व्यक्ति या अपने साथी कर्मचारी से किसी दुश्मनी के कारण उसे इस एक्ट के तहत फसाया जाता है जिससे इस act का misuse होता है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट की मुताबिक 2016 में कुल 11060 केस दर्ज हुए जिनमेंसे 935 केस फर्जी निकले. अर्थात लगभग 10% और 2015 में लगभग 15% केस फर्जी पाए गये थे.
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट को उदार बनाने की पहल की है.
SC ST Act में सुप्रीम कोर्ट ने क्या बदलाव किए?
Note- सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया है। जो बदलाव किए थे उन्हें सही नही माना है।आम जानकारी के लिए की पहले कोर्ट ने क्या कहा था उसके लिए आप इन पॉइंट्स को पढ़ सकते है...
⦁ सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि sc st act के मामलो की जाँच डिप्टी sp रैंक के अधिकारी करेंगे. पहले इन मामलो की जाँच इंस्पेक्टर करता था.
⦁ किसी भी सरकारी अधिकारी को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
⦁ किसी आम आदमी को भी तुरंत पकड़ा नहीं जाएगा उसको गिरफ्तार करने के लिए sp या एसएसपी से अनुमति लेनी होगी.
⦁ किसी भी व्यक्ति को अग्रिम जमानत दी जा सकती है और जमानत देने के अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा. पहले केवल हाई कोर्ट ही जमानत दे सकता था.
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने यह फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुछ लोगो का कहना है की इससे sc st के लोगो के खिलाफ अपराध बढ़ेंगे क्योंकि यदि डिप्टी रैंक का अधिकारी जाँच करेगा तब तक प्रभावशाली लोग अपनी ताकत से मामले को दबा देंगे.
और साथ ही कुछ लोगो का कहना है की ससे फर्जी केसों में कमी आएगी और राजनैतिक दुश्मनी निकलने के लिए जो केस किए जाते थे उनमे कमी आएगी. जिससे किसी बेगुनाह को अपमानित अन्हीं होना पड़ेगा.
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